‘इविवि केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, जन आकांक्षाओं का प्रतीक
Prayagraj News - इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग और उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार द्वारा 'राष्ट्र निर्माता की नर्सरी' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रो. कुमार वीरेंद्र ने...

प्रयागराज, कार्यालय संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग और उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार (संस्कृति विभाग, लखनऊ) के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्र निर्माता की नर्सरी : इलाहाबाद विश्वविद्यालय और स्वतंत्रता संग्राम के नायक विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रो. कुमार वीरेंद्र ने इलाहाबाद की पत्रकारिता की गौरवशाली परंपरा और अभिलेखागारीय संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ‘हिंदी प्रदीप (बालकृष्ण भट्ट) और ‘चांद पत्रिका (रामरख सिंह सहगल) के क्रांतिकारी योगदान का उल्लेख किया, जिन्होंने पायनियर जैसी औपनिवेशिक प्रवृत्तियों का विरोध किया। प्रो. हर्ष कुमार ने अपने पूर्वजों के अवध कृषक आंदोलन में योगदान को याद करते हुए गांधी जी की इलाहाबाद यात्राओं का उल्लेख किया।
प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी ने शहर की ऐतिहासिक विद्रोही प्रवृत्ति को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘यह विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि जन आकांक्षाओं और परिवर्तन का प्रतीक रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर विभाजन तक की ऐतिहासिक यात्रा और छात्रावासों के क्रांतिकारी संघर्ष का उल्लेख किया। प्रो. अनामिका राय ने उन इतिहास पुरुषों को याद किया जिनकी चर्चा प्रायः उपेक्षित रहती है, जिनमें प्रो. जीसी पांडे, प्रो. जीआर शर्मा और मनोहर लाल सहजगाती शामिल हैं। प्रो. अनुराधा सिंह (बीएचयू) ने इलाहाबाद से जुड़ी अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। प्रो. अजय प्रकाश खरे ने विदाई संभाषण दिया, जबकि प्रो. नीना शुक्ला एवं डॉ. सुशील कुमार पांडे ने विशिष्ट वक्तव्य दिए। इस अवसर पर प्रो. वीके राय, प्रो. संजय श्रीवास्तव, प्रो. पीएस हरीश, डॉ. कल्पना सिंह, डॉ. चंद्रभान यादव, डॉ. अखिल गुप्ता, डॉ. कुलदीप मिश्र, डॉ. विक्रम हरिजन, डॉ. आनंद प्रताप चंद, डॉ. खुशवंत सिंह ,डॉ. संतोष कुमार, डॉ. शिप्रा नंदन आदि मौजूद रहे।
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