‘स्व को पहचानें, भारतीय बनें और मूल्यों से जुड़ें: प्रो. संगीता
Prayagraj News - इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग द्वारा पांच दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने किया। संगोष्ठी में डॉ. जगदीश गुप्त, रघुवंश, अमरकांत और अन्य साहित्यकारों की...

प्रयागराज, मुख्य संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग की ओर से पांच दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन गुरुवार को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने सीनेट परिसर स्थित तिलक भवन में किया। उन्होंने राजकमल प्रकाशन एवं साहित्य भंडार की ओर से लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रयाग-पथ पत्रिका के मोहन राकेश अंक और जगदीश गुप्त के काव्यसंग्रह का लोकार्पण भी किया। कुलपति ने ‘स्व के ज्ञान, ‘स्व की पहचान और सबका सम्मान करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही कहा कि भारतीय बनें और भारतीय मूल्यों से जुड़ें। कुलपति ने कहा कि जन्मशती स्मरण के तहत हम डॉ. जगदीश गुप्त, डॉ. रघुवंश, अमरकांत, कृष्णा सोबती, श्रीलाल शुक्ल और मोहन राकेश पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी कर रहे हैं।
इन सभी साहित्यकारों का इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़ाव रहा है। रघुवंश को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनका कृतित्व और व्यक्तित्व निराला था। उनकी कहानियां हमें एक सीख देती हैं। उन्होंने कहा कि आंतरिक सौंदर्य साहित्य पढ़ने से आता है। इलाहाबाद का साहित्य सृजन बेहतरीन है, इसका कोई सानी नहीं है। राजभाषा अनुभाग के अध्यक्ष और कुलसचिव प्रो. आशीष खरे ने उम्मीद जताई कि पांच दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी से युवा लेखकों को जरूर लाभ मिलेगा, वे यहां होने वाले विचार-विमर्शों से सीखेंगे। संगोष्ठी के संयोजक प्रो. कुमार वीरेंद्र ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रो. जया कपूर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ. अमृता ने किया। संगोष्ठी के सह संयोजक प्रो. आशुतोष पार्थेश्वर और आयोजन सचिव हिंदी अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। उद्घाटन समारोह के बाद बरगद कलामंच की ओर से अमरकांत की कहानी डिप्टी कलेक्टरी का नाट्य मंचन भी किया गया।
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