साहित्य का नोबल पाने की तमन्ना रखते हैं मृगेंद्र राज
जिस उम्र में बच्चों का मन खिलौनों के लिए मचलता है, उस उम्र में साहित्यकार मृगेंद्र राज साहित्य के गूढ़ शब्दों से खेलने लगे। अद्भुत प्रतिभा के धनी...
जिस उम्र में बच्चों का मन खिलौनों के लिए मचलता है, उस उम्र में साहित्यकार मृगेंद्र राज साहित्य के गूढ़ शब्दों से खेलने लगे। अद्भुत प्रतिभा के धनी मृगेंद्र राज 15 साल की उम्र में साहित्य की विभिन्न विधाओं में अब तक 190 पुस्तकें लिख चुके हैं। 9वीं के छात्र मृगेंद्र राज के नाम छोटी सी उम्र में लेखन के लिए सात विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं। मूल रूप से अयोध्या के रहने वाले मृगेंद्र राज अपना उपनाम आज का अभिमन्यु लिखते हैं। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन में आए मृगेंद्र राज ने आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से विचार साझा किए।
छह साल की उम्र में लिखा पहला काव्य संग्रह
मृगेंद्र राज ने बताया कि छह साल की उम्र में पहला काव्य संग्रह उद्भव लिखा था। इसके लिए यंगेस्ट पोएट ऑफ द वर्ल्ड का अवार्ड प्राप्त किया। देश की 53 विभूतियों की जीवनी लेखन पर गोल्डन वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ। रामायण के 51 पात्रों पर पुस्तक लेखन कर लाइट यंगेस्ट ऑथर का सम्मान प्राप्त हुआ। मृगेंद्र राज इस समय देश की नदियों पर पुस्तक लिख रहे हैं।
साहित्य का नोबल पाने की है तमन्ना
मृगेंद्र राज ने बताया कि गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के बाद साहित्य का नोबल देश में अभी किसी साहित्यकार को नहीं मिला है। मेरी कोशिश है कि हिन्दी का नोबल पुरस्कार मिले। मृगेंद्र राज के मनपसंद लेखक मुंशी प्रेमचंद और अंग्रेजी लेखक जार्ज ओरविल हैं। मृगेंद्र के पिता राजेश पांडेय गन्ना विकास विभाग में कार्यरत हैं और मां शक्ति पांडेय सुल्तानपुर में शिक्षिका हैं।
