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मोरारी बापू की रामकथा की साक्षी होंगी गंगा-यमुना

कुम्भ की तरह एक बार फिर गंगा-यमुना की लहरें व अदृश्य सरस्वती मोरारी बापू की मानस कथा की साक्षी बनेंगी। माघ मेले के बाद 29 फरवरी से अरैल तट पर होने वाली नौ दिवसीय रामकथा के लिए बड़े पैमाने पर...

मोरारी बापू की रामकथा की साक्षी होंगी गंगा-यमुना
हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराजWed, 05 Feb 2020 05:51 PM
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कुम्भ की तरह एक बार फिर गंगा-यमुना की लहरें व अदृश्य सरस्वती मोरारी बापू की मानस कथा की साक्षी बनेंगी। माघ मेले के बाद 29 फरवरी से अरैल तट पर होने वाली नौ दिवसीय रामकथा के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं। त्रिवेणी पुष्प के सामने बन रहे विशाल पंडाल में श्रद्धालु बापू की रामकथा का रसपान करेंगे। व्यास पीठ के सामने से किले में स्थित अक्षयवट का दिव्य दर्शन रामकथा के महात्म्य को अक्षय रूप प्रदान करेगा। अक्षयवट की थीम पर होने जा रही श्री रामकथा में आस्था, संस्कृति और संगीत का अनूठा संगम होगा। वाटर प्रूफ पंडाल में बापू के लिए विशाल व्यासपीठ बनाई जा रही है।

एक निजी कंपनी कथा मंडप को आकार दे रही है। इसे बनाने के लिए राजस्थान के सैकड़ों कारीगर बुलाए गए हैं। पूरा अरैल क्षेत्र को एक नगर के रूप में विकसित किया जा रहा है, इसी परिसर में ही बापू का शयन कक्ष, साधना कक्ष और भोजन कक्ष होगा। बापू के रात्रि विश्राम के लिए घास-फूस की दो मंजिला स्पेशल कुटिया तैयार की जा रही है। इसके लिए अलग से कारीगर लगाए गए हैं। त्रिवेणी तट पर इस नौ दिनी आयोजन को भव्य व यादगार बनाने के लिए तैयारियां जोरों पर है।

200 देशों में होगा कथा का सजीव प्रसारण

आयोजक मदन पालीवाल के अनुसार संत मोरारी बापू की कथा सुबह 9:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक होगी। इसका सजीव प्रसारण 200 से अधिक देशों में एक साथ किया जाएगा। कथा में देश के विभिन्न राज्यों के अलावा अमेरिका, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, चीन, सऊदी अरब से भी श्रद्धालु शामिल होंगे। कथा में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे। प्रसाद बनाने के लिए दो हजार रसोइए गुजरात से बुलाए गए हैं।

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