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एक घंटे में 40 हजार रोटियां, कड़ाहे में 40 कुंतल आलू की सब्जी

Prayagraj News - महाकुम्भ नगर में लाखों श्रद्धालुओं के लिए 500 से अधिक भंडारे खुल चुके हैं। इस्कॉन का किचन एक घंटे में 40,000 रोटियां बनाता है और प्रतिदिन डेढ़ लाख श्रद्धालुओं को भोजन प्रदान करता है। यहां मशीनों के...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजSat, 25 Jan 2025 11:23 AM
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 एक घंटे में 40 हजार रोटियां, कड़ाहे में 40 कुंतल आलू की सब्जी

महाकुम्भ नगर, संजोग मिश्र धर्म की नगरी में पुण्यलाभ कमाने के लिए लोग लालायित हैं। महाकुम्भ क्षेत्र में जगह-जगह 500 से अधिक भंडारे खुले हैं जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को भोजन और प्रसाद उपलब्ध कराने के लिए अन्नेक्षेत्रों में बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई है। मेला क्षेत्र में सबसे बड़ा किचन सेक्टर 19 स्थित इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ) का है जहां तीन ऑटोमैटिक मशीनों पर एक घंटे में चालीस हजार रोटियां बनाई जा रही हैं।

किचन के असिस्टेंट इंचार्ज राधाकुंड दास ने बताया कि यहां आंटा गूंथने, सब्जी काटने आदि की मशीनों के साथ ही 100 से अधिक लोग महाप्रसाद बना रहे हैं। इस्कॉन का ही एक मेगा किचन प्रयागराज जंक्शन के पास भी है। उद्योगपति गौतम अदाणी के सहयोग से दोनों किचन से प्रतिदिन डेढ़ लाख श्रद्धालुओं की भोजन सेवा की जा रही है। इस किचन में चावल, दाल, सब्जी आदि के बड़े-बड़े बर्तन एक से दूसरे जगह ले जाने के लिए ट्रेन की पटरी की तरह ट्रैक बनाया गया है।

पुली सिस्टम से बड़े बर्तनों (भगौनों) को उठाकर प्लेटफॉर्म पर रखते हैं और फिर पटरी पर एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है। आटा गूंथने वाली मशीनें 15-20 मिनट में 50 किलो आटा गूंथ देती हैं। किचन में 15 लकड़ी से जलने वाले और 15 गैस से जलने वाले चूल्हें हैं। चार चूल्हों पर तो हर समय सिर्फ पानी गर्म होता रहता है और आवश्यकता के अनुसार तुरंत चावल पका लेते हैं।

पूरियां हाथ से बनती है। श्रद्धालुओं को दाल, चावल, रोटी, दो तरह की सब्जी, पूरियां और मिठा में हलवा, लड्डू या खीर दिया जा रहा है। किचन में खाना बनाने की प्रक्रिया भोर में तीन बजे शुरू हो जाता है। सारी तैयारी करने के बाद दो शिफ्ट में सुबह पांच से आठ बजे और दोपहर एक से चार बजे तक खाना बनाया जाता है और सुबह नौ से शाम छह बजे तक भोजन वितरण होता है।

मशीनों से बन रहा 20 हजार का भोजन

सेक्टर छह स्थित अक्षयपात्र के शिविर में प्रतिदिन 20 हजार श्रद्धालुओं के भोजन का इंतजाम किया गया है। यहां अधिकतर काम मशीनों के जरिए हो रहा है। चावल बनाने के लिए खास कुकर है जिसमें एक समय में अधिकतम 110 किलो चावल चढ़ता है और पकने के बाद इसकी मात्रा 350 किलो के आसपास हो जाती है। दाल के कूकर में डेढ़ घंटे में 750 लीटर दाल और सब्जी के कुकर में 350 किलो सब्जी तैयार होती है। रोटी बनाने वाली मशीन से एक घंटे में दो हजार रोटियां बन रही है।

कड़ाही में एक बार 40 कुंतल आलू की सब्जी

लाल महेन्द्र शिवशक्ति सेवा समिति आश्रम की ओर से ओम नम: शिवाय नाम से मेला क्षेत्र में सात स्थानों पर हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। खास बात यह है कि यहां दिन-रात 24 घंटे भोजन प्रसाद वितरण होता है। परेड मैदान स्थित किचन में तीन बड़ी-बड़ी कड़ाहे में सब्जी, कढ़ी बनती आदि है। सेवादार विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि एक शिविर में प्रतिदिन 13-14 कुंतल आटा की खपत है। सबसे बड़ी कड़ाहे में एक बार में 40 कुंतल आलू, ढाई कुंतल टमाटर से सब्जी बनती है। आलू छीलने-काटने, अदरक-मिर्च, पालक काटने, खड़े मसाले और टमाटर अदरक वगैरह पीसने की अलग-अलग मशीनें लगी है। गेंहू और चना मशीन से पीसकर यहीं आटा और बेसन बनाया जाता है।

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