विरासत के रूप में कुम्भ दुनिया को नई दृष्टि करता है प्रदान : टिम कर्टिस
Prayagraj News - संस्कृति विभाग और प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने 'महाकुम्भ संवाद' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की। मुख्य अतिथि यूनेस्को के टिम कर्टिस ने कुम्भ मेला को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल करने की...
संस्कृति विभाग और प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से बुधवार को सेक्टर सात स्थित कला कुम्भ के परिसर में 'महाकुम्भ संवाद: भारत के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संदर्भ में' विषय पर संगोष्ठी हुई। मुख्य अतिथि यूनेस्को के दक्षिण एशिया क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक टिम कर्टिस और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कला संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हेरंब चतुर्वेदी ने दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में कुम्भ मेला को शामिल करने से पहले उसके सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय पक्ष को वर्ष 1923 से निगरानी में रखा था।
उन्होंने कहा कि कुम्भ, प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहर की अमूर्त विरासत के रूप में विश्व को नई दृष्टि प्रदान करता है। सांस्कृतिक धरोहर कुम्भ को यूनेस्को ने वर्ष 2013 में स्वीकृति प्रदान किया था। वर्ष 2017 में अमूर्त मानव धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की थी। विशिष्ट अतिथि प्रो. हेरंब चतुर्वेदी ने कहा कि इतिहास के पन्नों में व्हेनसांग की यात्रा विवरण में कुम्भ मेला का वर्णन प्राप्त होता है। 12 वर्षों के अंतराल में बृहस्पति, चंद्रमा व पृथ्वी एक दिशा में अवस्थित होते है। तब कुम्भ का आयोजन होता है। यूनेस्को के क्षेत्रीय निदेशक ने विभाग की ओर से लगाई गई कुम्भ विषयक अभिलेख प्रदर्शनी को देखा। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत नीरज मिश्र ने सितार वादन की प्रस्तुति की। मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार और नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन रामेंद्र सिंह ने किया। इस मौके पर एसडीएम सौरभ गुप्त, प्राविधिक सहायक राकेश कुमार वर्मा, डॉ. हरीश सिंह, डॉ. रेफाक अहमद, डॉ. आलोक सिंह, डॉ. राजीव त्रिवेदी, श्रुति शुक्ला, संदीप त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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