साहित्य और चित्रकला की सेतु थीं महादेवी
Prayagraj News - प्रयागराज की कवयित्री महादेवी वर्मा ने साहित्य और चित्रकला में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1935 में प्रयाग महिला विद्यापीठ में चित्रकला विभाग की स्थापना की और एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। महादेवी ने बंगाल...
प्रयागराज। छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक कवयित्री महादेवी वर्मा के साहित्य पर बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन वह साहित्य और चित्रकला की सेतु भी थीं। प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य के कार्यकाल के दौरान महादेवी ने ना केवल वर्ष 1935 में चित्रकला विभाग की स्थापना की थी बल्कि उसी वर्ष विद्यापीठ में एक चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन हुआ था। साहित्यकार रविनंदन सिंह बताते हैं कि इस प्रदर्शनी में अन्य चित्रकारों के साथ महादेवी के दो चित्र ‘वर्षा व ‘संध्या प्रदर्शनी में शामिल किए गए थे। इनके चित्र बंगाल चित्रकला से प्रभावित थे। महादेवी के विद्यापीठ में ड्राइंग मास्टर चित्रकार शंभूनाथ मिश्र के आलेख के अनुसार उस दौर में बंगाल के चित्रकार क्षितींद्र नाथ मजूमदार, सुधीर रंजन खस्तगीर, अमृता शेरगिल, शैलेंद्र नाथ डे जब भी भी इंडियन प्रेस आते तो महादेवी का चित्रकला विभाग देखने अवश्य जाते थे।
जब श्रीनारायण चतुर्वेदी ने वर्ष 1935 में लखनऊ में आयोजन किया, तब उसमें महादेवी का ‘मीरा शीर्षक चित्र भी प्रदर्शित हुआ था। उस प्रदर्शनी में जयशंकर प्रसाद भी उपस्थित थे। रविनंदन ने बताया कि वर्ष 1943 में बंगाल के भयावह अकाल ने सभी तत्कालीन रचनाकारों को आहत किया था। इस अकाल से क्षुब्ध होकर महादेवी ने भी ‘बंग वंदना शीर्षक कविता लिखी और दो चित्र बनाए थे। पहला तैलचित्र ‘अन्नपूर्णा शीर्षक से तो दूसरा जलरंग चित्र ‘मां की चिता शीर्षक से था। उन्होंने विद्यापीठ से एक ‘बंग दर्शन पत्रिका का भी प्रकाशन किया था।
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