इमारतों के निर्माण में एनजीटी की गाइडलाइन दरकिनार
प्रयागराज की आबोहवा देश के कई शहरों से अच्छी मानी जाती है। यहां पराली नहीं जलाई जा रही है। कोहरा भी अभी दूर...

प्रयागराज। प्रयागराज की आबोहवा देश के कई शहरों से अच्छी मानी जाती है। यहां पराली नहीं जलाई जा रही है। कोहरा भी अभी दूर है। फिर भी शहर में प्रदूषण ऑरेंज रेंज में पहुंच गया है। शहर में प्रदूषण बढ़ने का कारण एनजीटी की गाइडलाइन का उल्लंघन कर भवनों का निर्माण किया जा रहा है। सड़क चौड़ीकरण के लिए मकानों के हिस्से टूट रहे हैं। दोनों की वजह से उड़ने वाली धूल शहरी आबोहवा को प्रदूषित कर रही है।
एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने देशभर में खुले में निर्माण करने पर रोक लगाई है। निर्माण स्थल को हर कपड़े से ढकना अनिवार्य किया गया है। एनजीटी की इस गाइडलाइड का पालन नहीं हो रहा है। खुले में निर्माण किए जा रहे हैं। खुले में हो रहे किसी भी निर्माण स्थल पर हवा में धूल देखी जा सकती है। एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार निर्माणों पर निगरानी नगर निगम की जिम्मेदारी है। नगर निगम ऐसे भवनों की निगरानी नहीं कर रहा है। खुले में निर्माण करने वाले किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई।
टूटते मकानों के सामने मलबा भी नहीं उठाया जा रहा है। नए व्यवस्था में घरों के सामने पड़ा मलबा एक किनारे रख दिया जा रहा है, ताकि आवागमन में बाधा न हो। मलबे से भी धूल निकल रही है। नगर निगम के मुख्य अभियंता सतीश कुमार ने बताया कि मलबा उठाने के लिए तैयार हैं लेकिन भवनस्वामी शुल्क नहीं देना चाहते। वर्तमान में सैकड़ों घर लोग खुद तोड़ रहे हैं। सभी घरों का नि:शुल्क मलबा उठाना संभव नहीं है।
