विवेचना के तरीके पर की हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी
हाईकोर्ट ने डीजीपी मुकुल गोयल से कहा कि विवेचना सही न होने के कारण भारत
हाईकोर्ट ने डीजीपी मुकुल गोयल से कहा कि विवेचना सही न होने के कारण भारत में अपराध पर सजा की दर मात्र 6.5 फीसदी है जबकि कई देशों में 85 फीसदी केसों में सजा मिल रही है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस आरोपी से असलहे बरामद नहीं करती, प्लांट करती है और बैलेस्टिक जांच रिपोर्ट में असलहे से फायर के साक्ष्य नहीं मिलने से आरोपी बरी हो जाते हैं।
विवेचना फेयर होनी चाहिए। खून की फोरेंसिक जांच में देरी होती है, जिससे वांछित परिणाम नहीं मिलते।
इसीलिए अपराधियों में भय नहीं है।वे अपराध कर जमानत पर रिहा होकर स्वतंत्र घूमते हैं। सोचते हैं अपराध करो, कुछ नहीं होगा।
कोर्ट ने नसीहत के लहजे में कहा कि पैसे से कुछ नहीं होता। स्वर्ग कहीं और नहीं है, सब यहीं है। अपने कर्मों का फल सभी को भोगना पड़ता है।
नामजद आरोपियों को अभिरक्षा में नहीं लिया गया जबकि कार्रवाई होनी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा सीआरपीसी की धारा 173 में स्पष्ट है कि अपराध की विवेचना दो माह में पूरी कर ली जाए लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
