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प्रयाग में छपकर दुनिया में छा गई गीतांजलि

प्रख्यात साहित्यकार गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर की जयंती आज पारम्परिक रूप से मनाई गई। गुरुदेव का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था लेकिन बांग्ला पंचांग के अनुसार वैशाख की 25 तारीख को हुआ था जो 8 मई को है। इस...

प्रयाग में छपकर दुनिया में छा गई गीतांजलि
हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराजFri, 08 May 2020 03:51 PM
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प्रख्यात साहित्यकार गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर की जयंती आज पारम्परिक रूप से मनाई गई। गुरुदेव का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था लेकिन बांग्ला पंचांग के अनुसार वैशाख की 25 तारीख को हुआ था जो 8 मई को है। इस अवसर पर लॉकडाउन के बीच आज बांग्ला समाज की ओर से गुरुदेव को भावपूर्ण स्मरण किया गया। गुरुदेव का जन्म भले ही तत्कालीन कलकत्ता (आज का कोलकाता) में हुआ था लेकिन वैश्विक साहित्यिक पहचान उन्हें प्रयागराज से मिली। साहित्य और कला की इस महान हस्ती ने अपने जीवन के कई अनमोल क्षण इस शहर में बिताए। इसी शहर की माटी ने गुरुदेव को नोबेल पुरस्कार विजेता बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।

साहित्य साधना की जगी अलख

इविवि रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रो. महेश चंद्र चट्टोपाध्याय के अनुसार प्रयागराज गुरुदेव के साहित्य साधना का केंद्र रहा। इंडियन प्रेस में 1909 से 1914 के बीच गीतांजलि समेत लगभग 87 पुस्तकें प्रकाशित हुईं। गीतांजलि का पहला संस्करण 1910 में प्रकाशित हुआ था। इस कालजयी कृति पर 1913 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। गुरुदेव पहली बार वर्ष 1900 में प्रयागराज आये और रामानंद चट्टोपाध्याय से मिले। जार्जटाउन स्थित बैरिस्टर प्यारे मोहन बनर्जी के यहां रुककर कई रचनाएं लिखीं।

बंगाली समाज ने किया स्मरण

बंगाली सोशल एंड कल्चरल एसोसिएशन के सचिव शंकर चटर्जी के अनुसार लॉकडाउन के दौरान गुरुदेव को घरों में उनके साहित्य के जरिये याद किया गया। टैगोर टाउन स्थित टैगोर प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

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