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पांच किमी ट्रॉली खींचकर पहुंचाया अस्पताल

एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चौथे दिन गुरुवार को हालात और भी बदतर हो गए। एंबुलेंस नहीं मिली तो युवक दुर्घटना में घायल बूढ़ी मां को रिक्शा ट्राली से...

एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चौथे दिन गुरुवार को हालात और भी बदतर हो गए। एंबुलेंस नहीं मिली तो युवक दुर्घटना में घायल बूढ़ी मां को रिक्शा ट्राली से...
1/ 3एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चौथे दिन गुरुवार को हालात और भी बदतर हो गए। एंबुलेंस नहीं मिली तो युवक दुर्घटना में घायल बूढ़ी मां को रिक्शा ट्राली से...
एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चौथे दिन गुरुवार को हालात और भी बदतर हो गए। एंबुलेंस नहीं मिली तो युवक दुर्घटना में घायल बूढ़ी मां को रिक्शा ट्राली से...
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एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चौथे दिन गुरुवार को हालात और भी बदतर हो गए। एंबुलेंस नहीं मिली तो युवक दुर्घटना में घायल बूढ़ी मां को रिक्शा ट्राली से...
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हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराजFri, 30 Jul 2021 04:02 AM
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एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चौथे दिन गुरुवार को हालात और भी बदतर हो गए। एंबुलेंस नहीं मिली तो युवक दुर्घटना में घायल बूढ़ी मां को रिक्शा ट्राली से लेकर एसआरएन पहुंचा। करीब पांच किमी ट्राली खींचने के बाद किसी तरह अस्पताल में भर्ती कराया। महिला की हालत गंभीर बनी हुई है।

सुल्तानपुर का रहने वाला बाबूराम निषाद बुजुर्ग बीमार मां ननका के साथ बक्शी बांध रेलवे लाइन के पास किराए का कमरा लेकर रह रहा है। ननका का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में चल रहा है। गुरुवार दोपहर बाबूराम मां को बाइक से लेकर अस्पताल जा रहा था। बक्शी बांध रेलवे लाइन के पास साइकिल सवार को बचाने के चक्कर में कार से उसकी बाइक भिड़ गई। इस हादसे में मां-बेटे बाइक से उछलकर जमीन पर आ गिरे। ननका को कई जगह गंभीर चोटें आईं। मां को तड़पता देख उसने एंबुलेंस के लिए कई बार कॉल किया। एंबुलेंस नहीं मिली तो वहां से गुजर रहे एक रिक्शा ट्रॉली वाले से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगाई। रिक्शा-ट्रॉली वाले ने भी मानवता दिखाते हुए ननका को ट्रॉली पर लिटा दिया। करीब पांच किमी ट्रॉली खींचने के बाद ननका को एसआरएन पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया है। उसकी हालत गंभीर बताई गई है। बाबूराम ने कहा कि अगर एंबुलेंस समय पर मिल जाती तो उसकी मां को जल्द भर्ती कराया जा सकता था।

भाड़े की कार लेकर पहुंचे :

प्रतापगढ़ के सगीर अपने छोटे भाई की पत्नी को गंभीर हालत में लेकर एसआरएन पहुंचे। बताया कि कई बार एंबुलेंस के लिए प्रयास किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिर में छह हजार रुपए में किराए की कार लेकर अस्पताल पहुंचे। वहीं अल्लापुर के सुरेश सिंह भी बाइक से बेटे को लेकर अस्पताल आए। खेलते समय सिर में चोट लगने से बेटा बार-बार बेहोश हो रहा था। एंबुलेंस के लिए परेशान होना पड़ा।

जिंदा-मुर्दा को ले जाने का अलग-अलग रेट :

हड़ताल का निजी एंबुलेंस चालक भरपूर फायदा उठा रहे हैं। वे इस समय मुंहमांगी कीमत वसूल रहे हैं। एसआरएन, काल्विन, डफरिन, बेली के बाहर निजी एंबुलेंस वालों की संख्या गुरुवार को बढ़ी दिखी। सभी ने अलग-अलग रूट के लिए किराया भी तय कर रखा है। एक पैसा भी कम नहीं कर रहे हैं। अस्पताल से अगर मरीज जिंदा घर लौट रहा है तो उसका अलग किराया लिया जा रहा है। वहीं अगर मौत हो चुकी है तो उसका भाड़ा ज्यादा है। दस किमी के दायरे में अगर मरीज को घर पहुंचाना है तो साढ़े तीन हजार रुपए मांगे जा रहे हैं। वहीं अगर शव को पहुंचाना है तो किराया साढ़े चार से पांच हजार के बीच होगा। मनगढ़ के सोनू अपने पिता को लेकर घर जाना चाहते थे। निजी एंबुलेंस वाले ने उनसे आठ हजार रुपए मांगे। मिन्नत के बाद भी एक पैसा कम नहीं किया।

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