त्रेतायुग में अयोध्या जैसी मनाई गयी थी प्रयागराज में दीपावली
रविवार को ज्योति पर्व दीपावली आस्था, उल्लास के साथ मनाई जा रही है। 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान श्रीराम, सीताजी और लक्ष्मण के वापस होने पर अयोध्या...
प्रयागराज। रविवार को ज्योति पर्व दीपावली आस्था, उल्लास के साथ मनाई जा रही है। 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान श्रीराम, सीताजी और लक्ष्मण के वापस होने पर अयोध्या में ही नहीं प्रयागराज में उसी तरह खुशियां मनाई गयी थीं। अयोध्या जाते समय भगवान श्रीराम का पुष्पक विमान भरद्वाज आश्रम के पास उतरा था। लंका विजय के बाद श्रीराम, सीताजी और लक्ष्मण ने महर्षि भरद्वाज से आशीष प्राप्त किया था। भगवान श्रीराम के स्वागत में नगर को भव्य रूप से सजाया गया था। मठ-मंदिर दीपमालाओं से सज गए थे। अयोध्या की तरह सतरंगी रोशनी प्रयाग में भी बिखरी थी। भगवान की आरती के लिए फूलों से सजी थाली लेकर महिलाएं पथ को अपलक नेत्रों के निहार रही थीं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम लंकापति रावण पर विजय के जब पुष्पक विमान से अयोध्या लौट रहे थे तो सीताजी को गंगा-यमुना और संगम को दिखाते हुए इसके महात्म्य और सौंदर्य का वर्णन किया था। स्नान-दान के बाद प्रभु श्रीराम भरद्वाज ऋषि से आशीर्वाद प्राप्त किया।भरद्वाज मुनि के आश्रम से पुष्पक विमान शृंग्वेरपुर पहुंचा था। वहां पर भगवान की एक झलक पाने के लिए गंगा तट पर जसमुदाय उमड़ पड़ा। लोक मान्यता है कि माता सीताजी ने वनवास से सकुशल वापस आने के लिए मां गंगा से मनौती की थी। इसके निमित्त सीताजी ने गंगा पूजन कर चुनरी चढ़ाई। इस संदर्भ में रामचरित मानस में कहा गया है कि पुनि प्रभु आइ त्रिबेनी, हरषित मज्जन कीन्ह। कपिन्ह सहित विप्रन्ह कहूं, दान बिबिध विधि दीन्ह।
