Allahabad High Court Ruling Victim s Injury Not Essential Evidence in Gang Rape Case गैंगरेप के मामलों में चोट अनिवार्य सबूत नहीं: कोर्ट, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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गैंगरेप के मामलों में चोट अनिवार्य सबूत नहीं: कोर्ट

Prayagraj News - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को आई चोट अपराध स्थापित करने के लिए जरूरी नहीं है। कोर्ट ने इरफान उर्फ गोलू का दोष बरकरार रखा, जबकि अन्य तीन आरोपियों की सजा को रद्द कर दिया। 

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजThu, 2 Oct 2025 02:52 AM
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गैंगरेप के मामलों में चोट अनिवार्य सबूत नहीं: कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को आई शारीरिक चोटें अपराध स्थापित करने के लिए साक्ष्य के रूप में अनिवार्य नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि यह संभव है कि पीड़िता ने डर के कारण विरोध न किया हो, या शराब या नशीली दवा के प्रभाव में होने के कारण प्रतिरोध करने में असमर्थ रही हो।

कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ आरोपी इरफान उर्फ गोलू की का दोष बरकरार रखा, जबकि प्रूफ की कमी के चलते अन्य तीन आरोपियों की सजा को रद्द कर दिया। यह मामला महोबा के चरखारी थाने में 13 जनवरी 2015 को दर्ज हुआ था, जिसमें 15 वर्षीय पीड़िता ने शराब पीने के लिए मजबूर किए जाने के बाद रातभर चार लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था।

सत्र न्यायाधीश ने 2 मार्च 2017 को चारों अभियुक्तों को 20 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि पीड़िता का बयान सुसंगत और विश्वसनीय है, और अकेले चोट का न होना यौन उत्पीड़न न होने का प्रमाण नहीं है।

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