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मिट्टी की सेहत जांचने की व्यवस्था ही बीमार

जिले में मिट्टी की सेहत जांचने की व्यवस्था खुद बीमार हो चुकी है। तहसील मुख्यालयों पर बनाए गए जांच केंद्र दो साल से बंद हैं जबकि मुख्यालय स्थित...

मिट्टी की सेहत जांचने की व्यवस्था ही बीमार
हिन्दुस्तान टीम,प्रतापगढ़ - कुंडाFri, 25 Jun 2021 03:40 PM
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प्रतापगढ़। गिरीश त्रिपाठी

जिले में मिट्टी की सेहत जांचने की व्यवस्था खुद बीमार हो चुकी है। तहसील मुख्यालयों पर बनाए गए जांच केंद्र दो साल से बंद हैं जबकि मुख्यालय स्थित सेंट्रल लैब तक सभी का पहुंचना आसान नहीं है। ऐसे में मिट्टी के पोषक व सूक्ष्म तत्व की जांच के बगैर ही किसान पुराने तरीके के आधार पर खेती कर रहे हैं। अधिक पैदावार के लिए किया जा रहा उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग किसानों की जेब पर भारी पड़ रहा है।

बेहतर खेती और अच्छी उपज के लिए किसान मिट्टी की जांच कराते हैं। इसके जरिए खेत की मिट्टी में सूक्ष्म व पोषक तत्वों की मौजूदगी का पता चल जाता है। इसी के आधार पर मिट्टी में जिसकी तत्व की कमी होती है उसका प्रयोग कर किसान अच्छी पैदावार करते हैं। इसका दूसरा फायदा यह भी है कि किसान उर्वरक पर होने वाले अनावश्यक खर्च से बच जाता है। यही वजह रही कि शासन ने जिले के तहसील व ब्लाक स्तर पर मृदा परीक्षण की व्यवस्था करने के साथ ही मृदा परीक्षण कार्ड किसानों को मुहैया कराना शुरू किया।

हैरानी तो इस बात की है कि बीते दो साल से जिले में मिट्टी की जांच की व्यवस्था बंद हो गई है। ब्लॉक व तहसील स्तर पर बनाई गई प्रयोगशालाओं को वर्ष 2018 से ही बंद कर दिया गया। अब जिले में मुख्यालय स्थित सेंट्रल लैब में ही मिट्टी जांच की सुविधा है। इस पर भी मिट्टी जांच के लिए किसानों को फीस जमा करनी होती है।

मिट्टी जांच का जमा करना होता है शुल्क

सामान्य जांच में आर्गेनिक कार्बन, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, पीएच, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा सूक्ष्म तत्व जांच में सल्फर, बोरान, कॉपर, जिंक, मैग्नीज तथा फेरस की जांच की जाती है। सामान्य जांच के लिए किसानों को 29 रुपये तथा सूक्ष्म तत्व की जांच के लिए 73 रुपये देने होते हैं। दोनों जांच के बदले में 102 रुपये जमा करना होता है।

टेस्टिंग सैंपल की नहीं है जानकारी

निजी स्तर पर मिट्टी की जांच कराने के लिए किसान खुद से इसका सैम्पल लेकर आते हैं। दरअसल किसानों को मृदा परीक्षण सैंपल लेने की जानकारी नहीं होती। ऐसे में उनके सैंपल की रिपोर्ट भी विश्वसनीय नहीं रह जाती। दूसरी तरफ अधिकतर किसान ऐसे हैं जो कि बिना मिट्टी की जांच कराए ही पुराने तरीके से खेती कर रहे हैं।

इनका कहना है....

बीते दो साल से मुख्यालय स्थित सेंट्रल लैब में किसानों से फीस जमा कराने के बाद मिट्टी जांच की जा रही है। इसके अलावा सभी प्रयोगशालाएं बंद हैं। अब शासन से मृदा जांच का लक्ष्य भी नहीं भेजा जाता। जो किसान मिट्टी जांच कराने के इच्छुक होते हैं उनसे शुल्क जमा कराने के बाद रिपोर्ट दी जाती है।

डॉ. रघुराज सिंह, उपनिदेशक कृषि, प्रतापगढ़।

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