राम वनगमन पथ के किनार लगेंगे पौराणिक महत्व के पौधे
राम वनगमन पथ पर रामायण कालीन वनस्पतियां लगाई जाएंगी। रामचरित मानस एवं वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित कल्पवृक्ष, सीता अशोक और हरिशंकरी के पौधों को खास...
प्रतापगढ़। नईम सिद्दीकी
राम वनगमन पथ पर रामायण कालीन वनस्पतियां लगाई जाएंगी। रामचरित मानस एवं वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित कल्पवृक्ष, सीता अशोक और हरिशंकरी के पौधों को खास महत्व दिया जाएगा। इन प्राचीन वनस्पतियों का रोपण कर राम वनगमन पथ को फिर से प्राचीन रूप में लाने की तैयारी है।
अयोध्या, प्रयाग, शृंग्वेरपुर व चित्रकूट में राम वनगमन पथ पर प्रमुख रूप से पीपल, पाकर, बरगद, साल, कदम्ब, अशोक, चंदन, नीम, आंवला, बेल, बेर आदि के पौधे लगाए जाएंगे। माना जाता है कि इन सभी वृक्षों में देवताओं का वास होता है। इनके सभी अंग मानव समाज एवं जीव-जंतुओं के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इसीलिए इन्हें प्रमुखता दी जा रही है। इसकी तैयारी चल रही है। जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इन स्थानों पर पौधरोपण की शुरुआत कर सकते हैं।
इसलिए इनका हुआ चयन
कल्पवृक्ष का पुराणों में उल्लेख है। मनुष्य जीवन के लिए यह बहुत ही उपयोगी वृक्ष है। रिटायर मुख्य वन संरक्षक महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि भूकंप के हल्के झटके भी इस पर असर नहीं करते हैं। इस वक्त बाराबंकी में सबसे पुराना कल्पवृक्ष है। करीब पांच हजार साल पुराना बताया जाता है। सीता अशोक को सबसे पवित्र वृक्ष माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि रावण ने सीता को इसी वृक्ष के नीचे रखा था। हरिशंकरी वृक्ष पर्यावरण के लिहाज से भी सबसे महत्वपूर्ण होता है। जब पीपल, पाकर और बरगद के पौधे को एक ही थाले में लगाया जाता है तो उसे हरिशंकरी वृक्ष कहते हैं। ये पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे उपयोगी होते हैं। इसीलिए इन पौधों को राम वनगमन पथ पर लगाया जाएगा।
पुस्तक में दिया गया था सुझाव
पुस्तक 'राम वनगमन पथ की वनस्पतियां' में भी इसका सुझाव दिया गया था। लेखक महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी इस पुस्तक में रामचरित मानस व वॉल्मीकि रामायण के हवाले से पौधों की करीब 250 प्रजातियों का उल्लेख किया है। इसमें उन्होंने राम वनगमन पथ पर सभी तरह के पौधों के महत्व को बताया है।
मुख्यमंत्री ने किया था पुस्तक का विमोचन
गोस्वामी तुलसीदास सम्मान से नवाजे गए साहित्यकार महेंद्र प्रताप सिंह मूल रूप से पट्टी तहसील के नरहरपुर गांव के रहने वाले हैं। वह वन विभाग में मुख्य वन संरक्षक पद से दिसंबर 2020 में रिटायर हुए थे। इनकी लिखी पुस्तक राम वनगमन पथ की वनस्पतियां वर्ष 2018 में प्रकाशित हुई थीं। अक्तूबर 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में उनकी इस पुस्तक का विमोचन किया था। महेंद्र प्रताप बताते हैं मुख्यमंत्री ने उनसे इस पुस्तक को मंगवाया था। इस पर उन्होंने इसकी कई प्रति सीएम कार्यालय को उपलब्ध कराई थी।
इनका कहना है
राम वनगमन पथ पर रामायण काल की वनस्पतियां लगाई जाएंगी। रामचरित मानस व वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित पौधों को ही प्रमुखता से रोपित किया जाएगा। धार्मिक व पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण इन पौधों को मुख्यमंत्री के नेतृत्व में रामवन गमन पथ पर लगाए जाने की तैयारी है।
वरुण सिंह, डीएफओ