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आठ कांजी हाउस फिर भी फसल बचाना मुश्किल

छुट्टा मवेशियों के लिए जिले में आठ कांजी हाउस बने हैं। इसके अलावा दो कान्हा गोशाला संचालित हैं, जबकि दो बनकर तैयार हैं। चार कांजीहाउस और बनाने की...

आठ कांजी हाउस फिर भी फसल बचाना मुश्किल
हिन्दुस्तान टीम,प्रतापगढ़ - कुंडाSat, 24 Jul 2021 04:00 PM
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छुट्टा मवेशियों के लिए जिले में आठ कांजी हाउस बने हैं। इसके अलावा दो कान्हा गोशाला संचालित हैं, जबकि दो बनकर तैयार हैं। चार कांजीहाउस और बनाने की तैयारी है। बावजूद इसके जिले के किसान आवारा मवेशियों से अपनी फसल नहीं बचा पा रहे। कंटीला तार, जाली और बांस की बाड़ लगाकर फसल बचाने की जद्दोजहद चल रही है। किसानों की तमाम कोशिश पर आवारा मवेशी भारी पड़ रहे हैं।

महंगाई के दौर में खेती करना पहले ही किसानों को भारी पड़ रहा है। तमाम मुश्किलों के बीच खेत में तैयार हो रही फसल आवारा मवेशियों की भेंट चढ़ रही है। जिले में एक लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। मौजूदा समय में 80 फीसदी धान की रोपाई होने का दावा किया जा रहा है। जिन किसानों ने धान की रोपाई समय से करा दी थी अब उनकी फसल को छुट्टा मवेशी रौंद रहे हैं। कुछेक किसानों ने खेती को जानवरों से बचाने के लिए कंटीले तार व बांस की बाड़ लगाई है। इसके बावजूद फसल सुरक्षित नहीं हो सकी है। किसान आवारा मवेशियों से फसल को बचाने के लिए रात-दिन रखवाली कर रहे हैं। धान ही नहीं ज्वार, बाजरा, उर्द, अरहद, तिल की खेती भी नहीं बच पा रही।

बोले किसान, फसल का बचना मुश्किल

आवारा मवेशियों से फसल को बचा पाना किसानों को मुश्किल लग रहा है। लोहियानगर के अशोक सिंह, अजगरा के शुभम मिश्र, पट्टी के संतोष श्रीवास्तव, विश्वनाथगंज के मानसिंह यादव का कहना है कि यूकेलिप्टस की बल्ली व पत्थर के पोल लगाकर उसके जरिए खेत के चारों तरफ कंटीला तार लगाया है। इसके बाद भी खेत की रखवाली करनी पड़ रही है। जरा सी नजर चूकने पर जानवर फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों का यह भी कहना है कि बांस की बाड़ व घेराबंदी को जानवर तोड़ देते हैं। ऐसे हालात में फसल का बचना मुश्किल दिख रहा है।

कांजी हाउस व गोशाला नहीं है प्रभावी

किसानों का कहना है कि कांजी हाउस व गोशाला आवारा मवेशियों को लेकर प्रभावी नहीं है। एक तरफ गांव के लोग जानवरों को यहां पहुंचाते हैं तो कुछ ही देर बाद वहां से इन्हें छोड़ दिया जाता है। इससे दिक्कत और भी बढ़ रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. वीपी सिंह का कहना है कि जिले में आठ कांजीहाउस है। दो गोशाला चिलबिला व बराछा में चल रही हैं जबकि अंतू व कटरा में बनकर तैयार है। इसके अलावा चार कांजी हाउस उनके विभाग से पूरेमोतीलाल, कतरौली गौरा, सांगीपुर रॉकी व बिहार में बनाई जानी है। इनके बन जाने के बाद समस्या दूर हो जाएगी।

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