प्यारा सजेगा दरबार, मां की प्रतिमा को गढ़ रहे मूर्तिकार
Pratapgarh-kunda News - प्रतापगढ़ में नवरात्रि के समय मां दुर्गा की प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं। प्रवासी मूर्तिकार छह महीने से कैंप कर विभिन्न स्थानों पर प्रतिमाएं बना रहे हैं। महंगाई के कारण उन्होंने सजावट का सामान अपने...

प्रतापगढ़, संवाददाता। नवरात्र के समय दुर्गा पूजा पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा का पूजन होता है। गैर राज्यों के प्रवासी मूर्तिकार मां दुर्गा, भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की प्रतिमा को तैयार कर अंतिम रूप दे रहे हैं। छह माह से जनपद के अलग-अलग स्थानों पर कैंप कर रहे मूर्तिकारों ने दिन-रात परिश्रम के बाद प्रतिमा को तैयार किया है। हालांकि, प्रतिमा के चेहरे स्वरूप की मिट्टी, सजावट व कपड़ा आदि मूर्तिकार अपने जनपदों से साथ लेकर आए हैं। अलग-अलग मूर्ति कला केंद्र पर लगभग 250 प्रतिमा तैयार हुई है। पट्टी, लालगंज, रानीगंज, मऊआइमा, सोरांव, देल्हूपुर, सांगीपुर, कोहंड़ौर, अंतू सहित विभिन्न प्रमुख बाजारों के आसपास नवरात्र के समय पंडाल मां दुर्गा का दरबार सजेगा।
शहर क्षेत्र के चिलबिला, बाबागंज, सगरा, रूपापुर, महुली, सदर बाजार के आसपास मां दुर्गा, भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की आकर्षक प्रतिमा को मूर्तिकार अंतिम रूप दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल के हुगली में रहने वाले मूर्तिकला केंद्र के संचालक विश्वजीत पाल, किशुन पाल, बिट्टी सहित आठ प्रवासी मजूदर शहर क्षेत्र के चिलबिला में अमेठी राजमार्ग के पास एक किराये के परिसर में प्रवास कर लगभग 75 प्रतिमा तैयार कर दी है। विश्वजीत के अनुसार उनके कलाकेंद्र में एक हजार रूपये से 55 हजार रूपये कीमत तक मां दुर्गा की प्रतिमा है। हालांकि ऐसी प्रतिमा की एडवांश बुकिंग पहले से ही अलग-अलग दुर्गा पूजा समिति की ओर से की गई है। चिलबिला हनुमान मंदिर तालाब परिसर के पास कोलकाता के शोमेंद्र, शोभित आदि ने एडवांस बुकिंग में मां दुर्गा, भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की लगभग 50 प्रतिमाओं को तैयार किया है। इसी तरह शहर के रूपापुर, अष्टभुजा नगर, सगरा के आसपास प्रवासी मूर्तिकारों ने अलग- अलग दुर्गा पूजा समिति के लिए प्रतिमा तैयार कर दी है। अधिकांश कला केंद्र पर प्रतिमा को रंग किया जा रहा है। सजावट की सामाग्री साथ लेकर आए हैं मूर्तिकार अलग-अलग मूर्तिकला केंद्र के मूर्तिकार कोलकाता, हुगली, बिहार के चंपारण, सिवान सहित अलग-अलग जनपदों से गंगा घाट की मिट्टी, रंग, कपड़ा, सजावट की सामाग्री को साथ लेकर आए हैं। दरअसल महंगाई की वजह से ऐसी वस्तुएं आसपास के जनपदों में अधिक मूल्य पर बिक रही है। कम खर्च की वजह से मूर्तिकार अधिकांश सामाग्री साथ लेकर आए हैं। केवल बांस-लकड़ी की खरीदारी कर प्रतिमा को तैयार किया जा रहा है।
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