कोर्ट में गैंगरेप से मुकर गई युवती, सभी आरोपित बरी
बाजार से लौट रही दलित युवती से गैंगरेप के सभी आरोपित बरी हो गए। युवती ही कोर्ट में अपने बयान से मुकर...
बाजार से लौट रही दलित युवती से गैंगरेप के सभी आरोपित बरी हो गए। युवती ही कोर्ट में अपने बयान से मुकर गई। ऐसे में कोर्ट ने युवती को दी गई सरकारी आर्थिक सहायता की रिकवरी और मुकदमा लिखाने वाले उसके पिता के खिलाफ वाद दर्ज करने का आदेश दिया है।
लालगंज थाना क्षेत्र के रामपुर बावली में दलित युवती 3 जुलाई 2018 को बाजार से घर लौट रही थी। उसने परिजनों को बताया कि चार युवकों ने उसे अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म किया। युवती के पिता ने गांव के ही नान्हू उर्फ शाहिद, गुड्डू उर्फ मेहराज, नसीम, राजा कुरैशी के खिलाफ अपहरण व गैंगरेप की एफआईआर दर्ज कराई थी। घटना के बाद समाज कल्याण विभाग से उसे करीब तीन लाख रुपये की सरकारी आर्थिक सहायता दी गई थी। बाद में कोर्ट में गवाही के दौरान उसने सभी आरोपों को सीधे नकार दिया। मामले की सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश मानवाधिकार व पास्को एक्ट आरएन पांडेय ने सभी आरोपितों को बरी कर दिया। साथ ही मुकदमा दर्ज कराने वाले युवती के पिता पर प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने मुकदमा दर्ज होने के बाद पीड़िता को दी गई आर्थिक सहायता की रिकवरी के लिए डीएम को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा।
कोर्ट में दिया बयान भी झुठलाया :
गैंगरेप की एफआईआर के बाद युवती ने पुलिस के साथ कोर्ट में दिया बयान भी झुठला दिया। युवती ने घटना के सबंध में पहले पुलिस को बयान दिया था। उसमें उसने गैंगरेप की बात कही। इसके बाद कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने भी उसने कलमबंद बयान में भी घटना का समर्थन किया। हालांकि बाद में मुकदमे में गवाही के दौरान कहा कि उसने पुलिस के दबाव में मजिस्ट्रेट को कलमबंद बयान दिया था।
चर्चा में रही युवती की गवाही :
युवती का गैंगरेप में गवाही से मुकरना चर्चा का विषय बना रहा। मामले की सुनवाई से पहले ही आरोपितों के पक्ष से खासी भीड़ जमा हो गई थी। युवती का बयान पहले ही हो गया था। फैसला आने के बाद आरोपित के पक्ष के लोग जहां खुश दिखे वहीं युवती के परिजन निराश हो उठे। चर्चा के अनुसार गवाही से मुकरने के बाद युवती के परिजनों को उम्मीद थी कि घटना के बाद उन्हें मिली सरकारी सहायता वापस हो सकती है लेकिन मुकदमा वादी के खिलाफ वाद दर्ज करने के आदेश का उन्हें अनुमान नहीं था। इसमें झूठा मुकदमा दर्ज कराने पर युवती के पिता को छह माह जेल की सजा हो सकती है।