फसलों के अपशिष्ट जलाएंगे तो ये होगा नुक्सान
फसलों के अपशिष्ट जलाने पर प्रदूषण फैलने के साथ खेतों की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है। इसको लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। सोमवार को पूरनपुर में हुई किसान गोष्ठी में किसानों को वैज्ञानिक...
फसलों के अपशिष्ट जलाने पर प्रदूषण फैलने के साथ खेतों की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है। इसको लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
सोमवार को पूरनपुर में हुई किसान गोष्ठी में किसानों को वैज्ञानिक तकनीकी से फसलों की पैदावार बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया गया। गोष्ठी में किसानों से खेतों के अपशिष्ट न जलाने की अपील की गई। किसानों को सरकार की कृषि मशीनरी एवं हायर कटिंग के प्रचार और नवीन विधि योजना की जानकारी भी दी गई। सोमवार को कृषि उप संभागीय कार्यालय फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी उपयोग एवं प्रोत्साहन परियोजना के तहत किसान गोष्ठी हुई।
इसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को वैज्ञानिक तकनीकी से फसलों की पैदावार बढ़ाए जाने का प्रशिक्षण दिया। गोष्ठी में उप कृषि निदेशक अनिल कुमार तिवारी ने किसानों को बताया कि खेतों में फसल के ठूठे, अपशिष्ट जला दिए जाते हैं। इससे प्रदूषण तो फैलता ही है खेत की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो जाती है। इससे बचने के लिए अब ऐसे कृषि यंत्रों से फसल अवशेषों को मार्चलिंग करके खेतों में काटा और सड़ाया जा सकता है।
इससे अवशेष खेत में ही मिल जाएंगे। कृषि वैज्ञानिक एसएस ढाका ने किसानों को बताया कि ब्लाक स्तर पर सरकार की कृषि मशीनरी एवं हायर कटिंग के प्रचार और नवीन विधि की योजना लागू की गई है। अब तक किसान उपज काटने के बाद कृषि अवशेषों में आग लगा देते हैं।
इससे क्षेत्र में प्रदूषण है और उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है। मशीनों का प्रयोग करने से अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर सड़ाया जा सकता है। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा और खेत की उर्वरा शक्ति भी कम नहीं होगी। गोष्ठी में किसानों को अन्य लाभकारी जानकारियां दी गईं। किसानों से धान की फसल सरकारी केंद्रों पर विक्री करने के लिए किसान पंजीकरण कराने को कहा गया। बिना पंजीकरण के किसान धान की विक्री नहीं कर सकेंगे। यहां पर कृषि वैज्ञानिक डा. रीना शेट्टी, एडीओ कृषि अनिल कुमार गौतम, कृभको से डीसी शुक्ला, राजकीय कृषि बीज भंडार प्रभारी दिलीप कुमार सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।