वयस्क हो रही गई बाघिन, तलाश रही ठिकाना
जंगल में जब तक बाघ के बच्चे छोटे रहते हैं तब तक वह मां के साथ ही रहते हैं। इसके बाद बडे होने पर वह अपनी अलग सुरक्षित टैरिटरी निर्धारित करते हैं। इसी क्रम में इनका भटकाव देखा जा रहा है। ऐसा ही कुछ...
जंगल में जब तक बाघ के बच्चे छोटे रहते हैं तब तक वह मां के साथ ही रहते हैं। इसके बाद बडे होने पर वह अपनी अलग सुरक्षित टैरिटरी निर्धारित करते हैं। इसी क्रम में इनका भटकाव देखा जा रहा है। ऐसा ही कुछ मौजूदा समय में रिछौला में लगातार देखी जा रही बाघिन के साथ है। अधिकारियों की माने तो वह ढाई से तीन साल की हो गई और अब अलग सुरक्षित ठिकाना तलाश रही है।
जंगल में हर जानवर का अपना अलग क्षेत्र हैं। उसी एरिया में वह रहते हैं और परिवार के साथ घूमते हैं। इसी तरह से बाघों का भी अपना अलग सुरक्षित ठिकाना होता है और वहां पर अन्य दूसरा बाघ नहीं आ-जा सकता है। बताते हैं कि बाघिन बडी होने पर खुद ठिकाना तलाशती है। मौजूदा समय में पीटीआर में बाघों की काफी संख्या है और जंगल का एरिया इनके सापेक्ष कम होने से बाघों के सामने बडे होने पर सुरक्षित ठिकाने को लेकर भटकना पड रहा है। इसमें एक दूसरे के क्षेत्र में जाने पर संघर्ष की भी घटनाएं सामने आई हैं। इधर करीब एक सप्ताह से माला रेंज में रिछोला के पास पर और मादा बाघ की चहल कदमी लोगों को हैरान कर रही है। दो माह पहले दो लोगों को मारने के बाद बाघ तो पकड़ गया था लेकिन अब फिर से क्षेत्र में बाघों की आमद हो गई है। आखिर बाघ बाहर क्यों आ रहे क्या वास्तव में बाघों के साथ इंसानों का समझौता हो गया और स्वभाव बदल गया इसको देखने के लिए दो दिनों से कानपुर चिडियाघर के डाक्टर आरके सिंह भी यहीं पर डेरा जमाए हुए है। वह बारीकी से इसकी पडताल कर रहे हैं। हालांकि कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन इतना जरूर है कि गांव के पास घूमने वाली और दिखाई देने वाली बाघिन है। अलग टैरिटरी के लिए वह जंगल में और बाहर भटक रही है। टीम लगी हुई हैं और डॉ. आरके सिंह अधिकारियों और कर्मचारियों से जानकारी कर बात को साझा कर रहे हैं।
गांव के पास बाघिन घूम रही हैं। यह तीन साल की होने को है। वह अपना अलग ठिकाना तलाश रही है। ठिकाना मिलने के बाद खुद को सुरक्षित कर लेगी। मौक पर टीम लगी हुई है।
नवीन खंडेलवाल, डीडी, पीलीभीत टाइगर रिजर्व
