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मोहब्बत की ऐसी दास्तान जो तबाह कर गई कई जिंदगियां

मोहब्बत के सुरूर में जकड़ा इंसान कभी कभी जज्बाती होकर ऐसे कदम उठा लेता है जिससे वह तो इस दुनिया से कूच करता ही है बल्कि अपनी माशूका के साथ कई और जिंदगियों को भी आंसुओं के समंदर में हमेशा के लिए डुबो...

मोहब्बत के सुरूर में जकड़ा इंसान कभी कभी जज्बाती होकर ऐसे कदम उठा लेता है जिससे वह तो इस दुनिया से कूच करता ही है बल्कि अपनी माशूका के साथ कई और जिंदगियों को भी आंसुओं के समंदर में हमेशा के लिए डुबो...
1/ 2मोहब्बत के सुरूर में जकड़ा इंसान कभी कभी जज्बाती होकर ऐसे कदम उठा लेता है जिससे वह तो इस दुनिया से कूच करता ही है बल्कि अपनी माशूका के साथ कई और जिंदगियों को भी आंसुओं के समंदर में हमेशा के लिए डुबो...
मोहब्बत के सुरूर में जकड़ा इंसान कभी कभी जज्बाती होकर ऐसे कदम उठा लेता है जिससे वह तो इस दुनिया से कूच करता ही है बल्कि अपनी माशूका के साथ कई और जिंदगियों को भी आंसुओं के समंदर में हमेशा के लिए डुबो...
2/ 2मोहब्बत के सुरूर में जकड़ा इंसान कभी कभी जज्बाती होकर ऐसे कदम उठा लेता है जिससे वह तो इस दुनिया से कूच करता ही है बल्कि अपनी माशूका के साथ कई और जिंदगियों को भी आंसुओं के समंदर में हमेशा के लिए डुबो...
हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतThu, 14 Mar 2019 12:41 AM
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मोहब्बत के सुरूर में जकड़ा इंसान कभी कभी जज्बाती होकर ऐसे कदम उठा लेता है जिससे वह तो इस दुनिया से कूच करता ही है बल्कि अपनी माशूका के साथ कई और जिंदगियों को भी आंसुओं के समंदर में हमेशा के लिए डुबो देता है।

बरखेड़ा में प्रेम प्रसंग में एक ही कुंडे से फांसी लगाकर आशिक और माशूका की मौत भी ऐसे ही कई सवाल छोड़ गई है। शादी शुदा आशिक और माशूका तो स्वेच्छा से इस दुनिया से विदा हुए ही बल्कि उनसे जुड़ी कई और जिंदगियों को भी सिसकता छोड़ गए।

दर्दनाक घटनाक्रम के मुताबिक अवधेश का विवाह पांच वर्ष पूर्व ही आरती नाम की युवती से हुआ था। वर्तमान में उसके एक दो वर्ष की बेटी आयशा भी है। शादी के तीन साल बाद उसकी गांव की ही आरती नाम की ही एक और युवती से आंखें चार हो गई। पहले मिलना जुलना हुआ और फिर दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। दोनों के बीच प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि एक दूसरे के बिना जीने मरने की कसमें भी खाने लगे।

इसी बीच आरती नाम की युवती का विवाह उसके माता पिता ने शाहजहांपुर जनपद के तिलहर थाना क्षेत्र के गुरगवां निवासी एक युवक से कर दी गई। शादी छह दिन पूर्व आठ मार्च को ही पूरे रस्मों रिवाज के साथ हुई थी। शादी से पहले युवती ने अपने प्यार की दास्तान अपने परिजनों के सामने उजागर कर दी और शादी न कराने की गुहार लगाई लेकिन परिजन को बदनामी का डर था और वह शीघ्र ही अपनी पुत्री के हाथ पीले करना चाहते थे। इसीलिए समझाबुझा कर उन्होंने उसकी मर्जी के बगैर उसको डोली में बैठा दिया।

शादी होने के बाद परिजनों की खुशी के लिए वह अपनी ससुराल तो चली गई लेकिन उसका दिल ग्राम जगीपुर में अवधेश पर ही लगा हुआ था। 11 मार्च को आरती ससुराल से मायके वापस आ गई। यहां आकर उसे फिर वहीं पुरानी बातें काटने लगी।

मंगलवार रात साढ़े 11 बजे जब उसे मालूम हुआ कि उसका प्रेमी घर में अकेला है तो वह परिजनों के सो जाने के बाद उससे मिलने उसके घर पहुंच गई। दोनों के बीच में वार्तालाप हुआ और पुराने जज्बात उमड़ पड़े। भावावेश में दोनों ने साथ जीने मरने की खाई गई कसम को पूरा करने का खतरनाक फैसला ले लिया। इसके बाद एक कागज पर अपनी मौत की दास्तान लिखकर दोनों इस दुनिया से अलविदा कह गए।

पापा, चाचा आज इतनी देर तक उठे क्यूं नहीं

मृतक अवधेश के भाई छेदालाल के मुताबिक बुधवार सुबह छह बजे उठकर वह अपने खेत पर चला गया था। खेत से साढ़े आठ बजे जब वह वापस आया तो उसके बेटे ने बताया कि चाचा अभी तक नहीं उइे हैं। इस पर वह अवधेश को कमरे में जगाने के लिए गया तो वहां का दृश्य देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। कमरे में अवधेश और आरती के शव लटके हुए थे।

एसपी ने किया मौका मुआयना

प्रेमी प्रेमिका की मौत की सूचना पर एसपी मनोज कुमार सोनकर ने घटनास्थल का निरीक्षण कर परिजनों से बातचीत की। उन्होंने बरखेड़ा पुलिस को पूरे मामले की गहनता से जांच करने के निर्देश दिए। घटनास्थल पर मिले सुसाइड नोट की भी जांच करने को कहा।

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