शारदा नदी का जलस्तर घटा, पारकोपाइन के सामने सिल्ट जमा
बुधवार को शारदा नदी का जलस्तर घट गया। इससे नदी किनारे कटान से बचाव को लगाई गई पारकोपाइन के सामने बड़े पैमाने पर सिल्ट जमा हो गई है। लोगों का आरोप है कि इस बार भी बचाव कार्य में खानापूरी कर बजट को...
बुधवार को शारदा नदी का जलस्तर घट गया। इससे नदी किनारे कटान से बचाव को लगाई गई पारकोपाइन के सामने बड़े पैमाने पर सिल्ट जमा हो गई है। लोगों का आरोप है कि इस बार भी बचाव कार्य में खानापूरी कर बजट को ठिकाने लगा दिया गया। इससे नदी के कटान की आशंका को लेकर ग्रामीण परेशान हैं।
बरसात के मौसम में शारदा नदी हर साल कटान कर तबाही मचाती है। इससे किसानों की फसल सहित जमीन और घर नदी की भेंट चढ़ जाते हैं। नदी के कहर का इसके किनारे बसे गांव के लोगों को हर साल सामना करना पड़ता है। हालांकि बाढ़ खंड की तरफ से नदी किनारे हर साल बचाव कार्य भी कराए जाते हैं। ग्रामीणों का आरोप है इसमें खानापूरी कर बजट को ठिकाने लगा दिया जाता है। इस साल भी बुझिया और रमनगरा क्षेत्र में बाढ़ खंड की तरफ से लगभग दस करोड़ रुपए से मरम्मत कार्य कराए गए।
किसानों की भूमि और आबादी को बचाने के लिए सीमेंट के कट्टों में रेत भरकर नदी किनारे लगाए गए। इसके ऊपर पारकोपाइन लगाकर झाड़ झंकाड़ डाला गया था। मंगलवार को बनबसा बैराज से एक लाख 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नदी का जलस्तर बढ़ गया। इससे बचाव कार्य नदी के पानी में लगभग डृब गए थे। बुधवार को नदी का जलस्तर कम हुआ। इससे पारकोपाइन के सामने बड़े पैमाने पर सिल्ट जमा हो गई है। किसानों का कहना है कि इस वर्ष शारदा नदी में भारी मात्रा में पानी अभी तक नहीं छोड़ा गया है। अगर भारी मात्रा में पानी नहीं छोड़ा जाता है कि तो नदी से सटे किसानों को इस बार भी कटान का दंश झेलना पड़ सकता है।