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पीलीभीत टाइगर रिजर्व में तैनात हुई आरआरटी

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पीलीभीत टाइगर रिजर्व में तैनात हुई आरआरटी
हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतMon, 14 May 2018 08:04 PM
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पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मानव वन्यजीवों के संघर्ष की घटनाओं को रोकने और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए यहां पर आरआरटी की तैनाती कर दी गई। टीम के लिए आई बैन का वन संरक्षक पीपी सिंह और डीएफओ ने फीता खोलकर शुभारंभ किया। इस दौरान वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के प्रेमचंद्र पांडेय ने टीम के कार्यों को बताया और सहयोग की बात कही। टीम के पास अत्याधुनिक उपकरण भी वाइल्ड लाइफ ने उपलब्ध कराए हैं। बाघ के आबादी में या फिर खेत में होने की सूचना पर टीम अधिकारियों से पहले पहुंचकर पड़ताल करेगी।प्रदेश में दुधवा नेशनल पार्क में आरआरटी की तैनाती के बाद दूसरी तैनाती अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व में हुई है। दुधवा में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर अंकुश लगने के बाद पीलीभीत में काम होना है।

टीम की तैनाती के लिए वन संरक्षक यहां के लिए पैरवी कर रहे थे, जो अब कामयाब हुए हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के लिए आरआरटी दे दी गई है। टीम के सदस्य रविवार को पीलीभीत टाइगर रिजर्व पहुंच गए। सोमवार को वन संरक्षक पीपी सिंह ने टाइगर रिजर्व और सामाजिक वानिकी के डीएफओ के साथ टीम के लिए उपलब्ध कराई गई बैन का फीता खोलकर उसका शुभारंभ किया। टीम में चार विशेषज्ञों को शामिल किया गया। यह लोग बाघ के जंगल से बाहर आने पर उसकी पड़ताल करेंगे। आबादी या फिर खेत में देखे जाने पर बाघ को पकड़ने के लिए प्रयास किया जाएगा। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के प्रेमचंद्र पांडेय ने बताया यहां पर हर समय टीम मौजूद रहेगी और काम सोमवार से ही शुरू कर दिया गया। टीम के पास आधुनिक उपकरण मौजूद है और हर स्तर से काम करने के लिए सक्षम है। वन संरक्षक पीपी सिंह ने बताया कि प्रदेश में पीलीभीत टाइगर रिजर्व और दुधवा में है।

गांवों में पीआरटी की टीम है। इसमें पांच कर्तिनियाघाट, दो पीलीभीत टाइगर रिजर्व और एक सुमेरनगर खीरी में है। इस टीम में विभागीय लोगों के साथ ही गांव के भी लोगों को शामिल किया गया। पीआरटी की सूचना पर आरआरटी मौके पर पहुंचेगी।

ड्रोन कैमरे के स्थान पर होगा कार काप्टर का प्रयोग

पीसी पांडेय ने बताया कि बाघ की लोकेशन ट्रेस करने के लिए ड्रोन कैमरा है और इससे गन्ने के खेत में लोकेशन ठीक नहीं मिल पाती है। अब इसका प्रयोग खुले मैदान में किया जाएगा। खेत में बाघ की लोकेशन के लिए छोटे ट्रेक्टर का प्रयोग किया जाएगा। इसे कार काप्टर कहा जाता है। इसमें कैमरे के अलावा अन्य उपकरणों को लगाया गया। यह आसानी से खेत में बाघ की लोकेशन ट्रेस करेगा। रिमोट से इसका काम होगा और मोबाइल पर तस्वीर दिखाई देगी।

टीम पहले तलाशेगी बाघ प्रभावित एरिया

वैसे तो जिले में आए दिन बाघ दिखाई देता है, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र क्या है, इसकी टीम पहले पड़ताल करेगी। वहां पर टीम के सदस्य जाकर गांव वालों से संवाद करेंगे और बताएंगे कि बाघ है या फिर अन्य कोई वन्यजीव। यह स्पष्ट होने के बाद वहां पर काम शुरू किया जाएगा।

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