मानवता का धर्म निभाकर अब तो कुछ प्रतिकार करो
संस्कार भारती ने थल सेना दिवस एवं मकर संक्रंति के अवसर पर काव्य संध्या का आयोजन किया। भगवान सिंह एडवोकेट के आवास पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ कवि एमएल शर्मा ने मां शारदे के समक्ष दीप...
संस्कार भारती ने थल सेना दिवस एवं मकर संक्रंति के अवसर पर काव्य संध्या का आयोजन किया। भगवान सिंह एडवोकेट के आवास पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ कवि एमएल शर्मा ने मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन कर और महामंत्री राजीव कुमार वर्मा के वाणी वंदना के साथ हुआ।
काव्य संध्या शुरू होने से पहले कार्यक्रम में थल सेना दिवस और मकर संक्रति के पर्व की लोगों को जानकारी दी गई। कहा गया कि लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा ने 15 जनवरी 1948 को भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण किया था । उन्होंने यह पद ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से यह पदभार ग्रहण किया था। इसी उपलक्ष्य में भारत में 15 जनवरी को थल सेना दिवस के रूप में मनाते हैं साथ ही पौष मास में सूर्य से मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
इसके बाद कार्यक्रम को गति प्रदान करते हुए रमेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि-अन्तरमन में छिपे प्यार को, मत बनने दो पीड़ा अपनी, हर पल अपना मूल्यवान है, दिवस हो या हो रजनी।अरुण दीक्षित ने कहा-करता निवेदन हूं, भारत सरकार से राम के मंदिर पर,अध्यादेश लाइए। भगवान सिंह ने कहा- मकर संक्रांति का पर्व महान सूर्य मकर में करता प्रस्थान।
प्रदीप अंकुर ने कहा मानवता का धर्म निभा कर कुछ तो अब प्रतिकार करो, निज बिगड़ी अब आप बनानी ऐसा कुछ उपचार करो। डॉ देवेंद्र गोस्वामी ने कहा-मैं कौन हूं, मैं अपनी पहचान खोजता हूं। मैं आदमी के भीतर इंसान खोजता हूं। इसके अलावा एमएल शर्मा, रविन्द्र सिंह, नंदनी सिंह, एवं राधिका सिंह, चन्द्र पाल गंगवार आदि ने भी काव्यपाठ किया।