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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम दे रहा हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को जीवनदान

Pilibhit News - पीलीभीत में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 10 माह में 14 बच्चों को हृदय रोग से बचाया गया है। ब्लॉक स्तर पर टीमों द्वारा गांवों में स्कूलों में जाकर बच्चों की...

Newswrap हिन्दुस्तान, पीलीभीतThu, 13 Feb 2025 04:02 PM
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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम दे रहा हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को जीवनदान

पीलीभीत। मौजूदा समय में खानपान ठीक न होने से किसी भी आयु वर्ग के लोगों को कोई गंभीर बीमारी हो सकती है। हृदय रोग से भी बच्चे ग्रसित हो रहे है। ऐसे में इन बच्चों के लिए जीवनदान की भूमिका स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की बनी हुई है। ब्लॉक स्तर पर बनी टीमें गांवों में स्कूलों में जाकर बच्चों का चेकअप करती है। हृदय रोग होने पर आवश्यक कदम उठाए जाते हैं। बीते दस माह में 14 बच्चों को अब तक उपचार से जीवनदान मिल चुका है। गर्भ के दौरान कुछ बच्चों को कई तरह की बीमारियां हो जाती है। जब उनका जन्म होता है तो जांच के दौरान इसकी जानकारी हो पाती है। इसमें कई बच्चों के दिल में छेंद होता है तो कई अन्य हृदय रोग से ग्रसित होते है। नवजात जब एक वर्ष का होता है तो उसका कुछ न कुछ दिक्कत होने लगती है। शुरआती दौर में इसकी पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है। गांव में लोग मंहगा इलाज होने के कारण उपचार भी नहीं करा पाते है। ऐसे में उन लोगों के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ही सहारा होता है। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों का गंभीर से गंभीर बीमारी का फ्री उपचार कराया जाता है। जिले में ऐसे कई बच्चों का उपचार कराया जा चुका है। टीम स्कूलों में जाकर इसकी जांच पड़ताल भी करती है। बीमारी होने पर रेफर किया जाता है और ग्रामीणों को जागरुक भी किया जाता है।

दस माह में 14 बच्चों की बचाई गई जान

जिले में अलग-अलग टीमों ने क्षेत्र से हृदय रोग से ग्रसित बच्चों को ट्रेस किया था। अप्रैल 2024 से अभी तक जिले में 27 मेल और 26 फीमेल बच्चों को चिंहित किया गया है। इसमें सात मेल और सात फीमेल का अलीगढ़ के मेडिकल कॉलेज में उपचार कराया गया है। जो अब ठीक है। शेष मरीजों के लिए तारीख नियत की गई है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हृदय में छेंद वाले बच्चों को उपचार के लिए अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है। जहां से बच्चे ठीक होकर लौटते है। टीमें लगातार इस पर काम कर रही है।

- डॉ. आलेाक कुमार, सीएमओ

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