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नजूल भूमि के नाम पर दशकों पुराने कब्जेदारों को डराने को कराई पैमाइश

शहर में स्टेशन रोड पर वर्षों से काबिज 20 से अधिक दुकानदारों और 50 से अधिक परिवारों को अब नगर पालिका और जिला प्रशासन नजूल की भूमि पर कब्जे के नाम पर डरा रहा है। उनको डराने के लिए नगर पालिका और राजस्व...

नजूल भूमि के नाम पर दशकों पुराने कब्जेदारों को डराने को कराई पैमाइश
हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतFri, 23 Nov 2018 02:16 PM
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शहर में स्टेशन रोड पर वर्षों से काबिज 20 से अधिक दुकानदारों और 50 से अधिक परिवारों को अब नगर पालिका और जिला प्रशासन नजूल की भूमि पर कब्जे के नाम पर डरा रहा है। उनको डराने के लिए नगर पालिका और राजस्व विभाग की टीम ने गुरुवार को मौके पर पैमाइश का ड्रामा किया। यह सब एक शिकायतकर्ता की ओर से आईजीआरएस पोर्टल पर की गई शिकायत के बाद शुरू हुआ है।

शहर में रेलवे स्टेशन से छतरी चौराहे वाली रोड पर नगर पालिका की 20 से अधिक दुकानें हैं। वर्षों पहले बनी यह दुकानें लोगों को आवंटित की गई हैं। नगर पालिका इनसे किराया भी वसूलता आ रहा है। इसके अलावा यहां नजूल की भूमि भी है। बताया जाता है इस भूमि का कुछ हिस्सा नगर पालिका ने लोगों को आवंटित भी की है। इस कथित नजूल भूमि पर वर्तमान में दर्जनों आवासीय और व्यावसायिक भवन बन हुए हैं। इन भवनों में 50 से अधिक परिवार कई दशकों से रह रहे हैं। इन भवनों के मालिक नगर पालिका को हाउस और वाटर टैक्स भी दे रहे हैं।

दशकों बाद अब नगर पालिका और जिला प्रशासन को यह भूमि नजूल की होने का पता चला है। इसका पता भी तब चला जब इस संबंध में शहर के ही एक शिकायतकर्ता ने आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की। शिकायत होते ही जिला प्रशासन भी चेत गया। इस पर जिला प्रशसान से इस भूमि की जांच का जिम्मा सदर तहसीलदार को सौंप दिया। उन्होंने तहसीलदार विवेक मिश्रा को मामले की जांच सौंप दी। उन्होंने अपनी जांच में स्टेशन रोड पर सीतापुर आई हास्पीटल के सामने तीन बीघा नजूल की भूमि होने की पुष्टि की। इसके बाद ही जिला प्रशासन ने इस नजूल भूमि की पैमाइश कराने की रणनीति बनाई। इसकी जिम्मेदारी एक बार फिर एसडीएम सदर को ही सौंपी गई।

उन्होंने फिर से तहसीलदार सदर विवेक मिश्रा की अध्यक्षता में राजस्व और नगर पालिका की टीम गठित की। इसमें राजस्व विभाग के कानूनगो, लेखपाल के साथ ही नगर पालिका ईओ और अन्य कर्मचारियों को शामिल किया गया। तहसीलदार की अध्यक्षता में गठित यह टीम गुरुवार को दोपहर 12 बजे पैमाइश के लिए मौके पर पहुंच गई। टीम के पहुंचते ही मौके पर हलचल भी बढ़ गई। पैमाइश से पहले राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने शहर के राजस्व नक्शे से भूमि का क्षेत्रफल खोजा। इसके बाद राजस्व लेखपालों ने पालिका कर्मचारियों के साथ फीता डालकर मौके पर पैमाइश शुरू कर दी।

इस पैमाइश में जो भी दुकान और भवन आए उनका लेखाजोखा तैयार किया गया। दो घंटे से अधिक समय तक चली पैमाइश के बाद टीम लौट गई। इस पैमाइश से भूमि पर काबिज परिवार, कारोबारी और नगर पालिका की दुकानों के किराएदार खासे नाराज दिखे। कार्रवाई के बारे में तहसीलदार सदर विवेक मिश्रा ने बताया कि पैमाइश में कब्जों का चिन्हांकन किया गया है। अभी कार्रवाई पूरी नहीं हुई है। इस संबंध में आगे नियमानुसार ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। नगर पालिका ईओ निशा मिश्रा ने भी आगे की कार्रवाई नियमानुसार ही होने की बात कही।

कब्जेदारों ने लगाया उन्हें परेशान करने का आरोप

स्टेशन रोड पर नगर पालिका की दुकानों और नजूल भूमि पर कब्जे की शिकायतें बीते कई महीनों से हो रही हैं। शिकायत पर ही नगर पालिका यहां चार दुकानों को सील कर चुका है। ऐसी ही शिकायत पर अब नगर पालिका को यहां नजूल भूमि की याद आई है। इस भूमि पर काबिज लोगों का आरोप है कि वह यहां वर्षों से रह रहे हैं। उनको खुद यह पता नहीं है कि भूमि नजूल की है। यहां जिन मकानों में वह रह रहे हैं यह मकान उनके बाप दादाओं ने वर्षों पहले बनवाए थे। तब नगर पालिका और जिला प्रशासन को यहां नजूल भूमि नहीं दिखी थी। अब एक शिकायत पर उन्हें यहां नजूल भूमि दिख गई है। लोगों ने आरोप लगाया कि यह भी साजिशन उन्हें परेशान करने के लिए किया जा रहा है।

कब्जामुक्त नजूल भूमि की सुध नहीं, कब्जायुक्त पर नजर टेढ़ी

जिले में नजूल की भूमि पर भूमाफिया की नजर पहले से ही टेढ़ी रही है। इसमें कई असरदार लोग, कालोनाइजर और जनप्रतिनिधि तक शामिल हैं। कहीं घरों के आस-पास नजूल भूमि पर आम लोग भी कब्जा जमाए हुए हैं। तीन साल पहले शहर में नजूल भूमि पर कब्जों की शिकायत पर तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट जेपी शर्मा ने कड़ा रुख अख्तियार किया था। उन्होंने एक बड़े कालोनाइजर से कई एकड़ भूमि खाली कराई थी। तब उन्होंने खाली कराई गई भूमि पर नगर पालिका से तूदाबंदी भी कराई।

इस पर उन्होंने कालोनाइजर के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई और उसे जेल तक जाना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने एक जनप्रतिनिधि के कब्जे से भी भूमि खाली कराई। कालोनाइजर से खाली कराई गई भूमि की तब से नगर पालिका ने सुध नहीं ली। इसके साथ ही जनप्रतिनिधि से खाली कराई गई भूमि पर भी कब्जा हो गया। इसकी जानकारी नगर पालिका को भी है और जिला प्रशासन को भी। ऐसे कब्जेदारों पर मुख्यमंत्री का एंटी भूमाफिया अभियान भी बेअसर साबित हुआ है। स्टेशन रोड पर तीन बीघा से अधिक भूमि पर दशकों पुराने कब्जों की एक शिकायत पर जिस तरह नगर पालिका और जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है, उस पर लोग सवाल भी उठा रहे हैं।

पैमाइश टीम में इनकी रही मौजूदगी

स्टेशन रोड पर तीन बीघा नजूल भूमि की पैमाइश करने वाली टीम में सदर तहसीलदार विवेक मिश्रा, अवर अभियंता विनियमित क्षेत्र ओम प्रकाश कुशवाहा के साथ कानूनगो ओम प्रकाश, लेखपाल चूड़ीलाल, केके सागर, विकास वर्मा, जगदीश, नगर पालिका के जेई जलकल सोम प्रकाश, संपत्ति बाबू संतोष सक्सेना आदि मौजूद रहे।

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