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राजा हरिश चंद्र की कथा सुनकर श्रोताओं की आंखों से छलके आंसू

बंगाली बाबा मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से पधारे कथावाचक श्रीकांत शास्त्री ने सत्यवादी राजा हरिश चंद्र की कथा सुनाकर श्रोताओं की आंखें नम कर...

राजा हरिश चंद्र की कथा सुनकर श्रोताओं की आंखों से छलके आंसू
हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतSun, 11 Mar 2018 12:19 AM
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बंगाली बाबा मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से पधारे कथावाचक श्रीकांत शास्त्री ने सत्यवादी राजा हरिश चंद्र की कथा सुनाकर श्रोताओं की आंखें नम कर दीं। बीसलपुर के बंगाली बाबा मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक श्रीकांत शास्त्री ने राजा हरिश चंद्र की कथा सुनाते हुए कहा कि सूर्यवंशी राजा हरिश चंद्र के सत्य की कीर्ती पूरे जगत में फैल जाती है। उनके सत्य की परीक्षा लेने के लिए इंद्र विश्वामित्र को भेजते हैं। विश्वामित्र बराह का रुप धारण कर उनके बगीचे की फुलवारी नष्ट करने लगते हैं। बगीचे का माली राजा हरिश चंद्र के पास जाता है और कहता है कि हे राजन एक बराह बगीचे में आ गया है। इसने सभी फुलवाड़ी नष्ट कर दी है। तभी राजा कहते हैं कि शाम को जीव सताना महा पाप का काम है।

सुबह बराह को देख लूंगा। राजा हरिश चंद्र सुबह बगीचे में जाते हैं और बराह का वध करने के लिए उसका पीछा करते हैं। तभी कुछ दूर आगे विश्वामित्र असली रुप में आ जाते हैं। राजा हरिशचंद्र कहते हैं कि हे मुनिवर आपने किसी बराह को जाते तो नहीं देखा। तब विश्वामित्र कहते हैं कि हे राजन मैने तुम्हारा बहुत नाम सुना है। मैं भिक्षा लेने आया हूं। राजन कहते हैं कि जो मांगना है मांग लो। तभी विश्वामित्र चाबी मांगते हैं और पूरा राजपाठ ल लेते हैं। राजा हरिश चंद्र पत्नी तारा व पुत्र रोहित के साथ राजपाठ छोड़कर चले जाते हैं। कथा सुनकर श्रोताओं की आंखें नम हो गई।

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