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पूरनपुर में प्रशासन ने अभी तक गोमती के नहीं हटवाए कब्जे

गोमती की अबिरल धारा बहाने को मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूरनपुर क्षेत्र में प्रशासन की इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा...

पूरनपुर में प्रशासन ने अभी तक गोमती के नहीं हटवाए कब्जे
हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतMon, 12 Mar 2018 10:38 PM
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गोमती की अबिरल धारा बहाने को मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूरनपुर क्षेत्र में प्रशासन की इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यहां प्रशासन के दिलचस्पी न दिखाने से अभी तक कब्जे हटना तो दूर चिहिंत भी नहीं हो पाए हैं। प्रशासनिक उपेक्षा के चलते गोमती कहीं सूखी है तो कहीं झाड़ झंकाड़ से घिरी हुई है। ऐसे में शासन की अविरल धारा बहाने की बात बेमानी साबित हो रही है। माधोटांडा के फुल्हर झील से निकली मां गोमती की धार में शुरू से ही अवैध कब्जे कर लिए गए हैं। इसके चलते अविरल धारा नहीं वह पा रही है।

कलीनगर एसडीएम ने अपने क्षेत्र में पड़ने वाली नदी की जमीन से अवैध कब्जे चिहिंत कर उन्हें हटाना भी शुरू कर दिया, लेकिन पूरनपुर क्षेत्र में अभी तक यह सार्थक पहल नहीं हो सकी। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह नदियों की दोबारा अविरल धारा बहाने की जनसहयोग से बात कही है। यूपी के कैबिनेट सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह इसकी शुरुआत पीलीभीत आकर कर चुके हैं। उन्होंने अधिकारियों के साथ जनसहयोग से गोमती की अविरल धारा बहाने की प्रशासन से बात कही थी। पूरनपुर क्षेत्र में अभी तक गोमती की जमीन से अवैध कब्जे हटना तो दूर की बात उन्हें चिहिंत भी नहीं किया गया है। जिम्मेदार उच्चाधिकारियों का निर्देश न मिलने की बात कहते देखे जा रहे हैं। ऐसे में गोमती की अविरल धारा कैसे बहेगी, यह यहां बेमानी साबित हो रही है। उपेक्षा के चलते गोमती नदी कहीं सूखी पड़ी हैं तो कहीं झाड़ झंकाड़ से घिर गई हैं। कई स्थानों पर तो लोगों ने नदी की धार में ही चारा आदि की फसल बो रखी है। धीरे धीरे पटान कर उसको खेतों का भी रूप दे दिया जा रहा है।

बाबा इकोत्तरनाथ के पास जमा हो गई सिल्ट

सिरसा के जंगल से होती हुई आगे जाने वाली गोमती नदी में सुप्रसिद्ध बाबा इकोत्तरनाथ मंदिर के पास भारी सिल्ट है। नदी की धार में बड़ी बड़ी घास उग आई है। काई और घास से पानी का ठहराव हो गया है जो आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जंगल के आगे लोगों ने अवैध कब्जा कर नदी को समतल कर उसपर खेती करनी शुरू कर दी। गुलड़िया भूपसिंह के पास पड़ने वाले पुल से गोमती की धार मात्र कुछ फिट में ही दिखाई पड़ रही है।

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