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लोकसभा चुनाव 2019 : पांच दशक तक जिले की सियासत का केन्द्र रहा डोरी लाल फाटक

इमारत की बुलंदियों को सराहें जरूर, पर करार उसकी बुनियाद से भी रहे। इक भरोसा आसमान पर भी रहे, इक इत्तेफाक उसकी दास्तां से भी रहे। जी हां, आज हम जिक्र करते हैं दास्ताने डोरी लाल फाटक।...

लोकसभा चुनाव 2019 : पांच दशक तक जिले की सियासत का केन्द्र रहा डोरी लाल फाटक
हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतSat, 16 Mar 2019 12:17 AM
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इमारत की बुलंदियों को सराहें जरूर,

पर करार उसकी बुनियाद से भी रहे।

इक भरोसा आसमान पर भी रहे,

इक इत्तेफाक उसकी दास्तां से भी रहे।

जी हां, आज हम जिक्र करते हैं दास्ताने डोरी लाल फाटक। पीलीभीत की सियासत का जिक्र करें तो डोरी लाल फाटक भी अलग इतिहास अपने दामन में समेटे है। सौ साल पुराने डोरी लाल फाटक का निर्माण आनरेरी मजिस्ट्रेट लाल खूबचन्द ने किया था। उस समय मुख्तियार बाबू डोरी लाल इसी फाटक में निवास करते थे। उनकी वजह से लोग इस फाटक को बाबू डोरीलाल के फाटक के नाम से जानने लगे और बाद में यही उसका नाम पड़ गया। पत्थर आज भी वहां लाला खूबचन्द के नाम का लगा है। इस समय भवन में लाला डोरी लाल के ध्यौता एलएच चीनी मिल के श्रम कल्याण अधिकारी चिरंजीव गौर रहते हैं।

 

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सर्वप्रथम 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बरेली सहोड़ा निवासी कुंवर मोहन स्वरूप ने चुनाव लड़ा तो इसी फाटक में कार्यालय बनाया गया। वह यहां से लगातार चार बार सांसद रहे और पूरे बीस साल यह फाटक गुलजार रहा। 1980 में बरेली के ही हरीश गंगवार पीलीभीत से चुनाव लड़े और सांसद बने। उन्होंने इसी फाटक में कार्यालय बनाया। 1984 में बरेली के ग्राम अगरासा के भानु प्रताप सिंह चुनाव जीते। उनका भी कार्यालय डोरी लाल फाटक में बना। 1989 तक डोरी लाल फाटक भानु प्रताप सिंह का ससंदीय कार्यालय रहा। उनके सचिव मनोज पटेल वहां बैठते रहे। इस के बाद मेनका गांधी का पर्दापण हुआ। वह चुनाव जीतीं पर 1991 की राम लहर में वह डा. परशुराम गंगवार से हार गईं। डॉ. परशुराम रहते बरखेड़ा में थे पर पीलीभीत में वह डोरी लाल फाटक में आते जाते रहते थे। इस के बाद जरूर गांधी परिवार की मेनका और वरूण का वर्चस्व रहा पर इस फाटक का महत्व कम नहीं हुआ। यहां जो भी मीटिंग होती है उसकी विशेष चर्चा रहती है।

 

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फाटक की खास विशेषताएं

पूर्व सांसद भानु प्रताप सिंह के सचिव और जिला पंचायत सदस्य रहे मनोज पटेल बताते हैं कि पूर्व मंत्री राजनारायण, पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, पूर्व मंत्री बाल गोविन्द वर्मा, गुलाम नबी आजाद अगर पीलीभीत आते थे तो इसी फाटक में स्थापित आरामगाह में विश्राम करते थे। अलखीमपुर खीरी के सांसद राज्य सभा सदस्य रवि प्रकाश वर्मा का बचपन भी इसी फाटक में गुजरा है। इसी फाटक में उनका ननिहाल है। उनकी माता पूर्व सांसद उर्षा वर्मा यही आकर रहती थीं।

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