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बेटी दिवस: परेशानियों से लड़कर लक्ष्य हासिल करने का संकल्प

बचपन में पिता का सिर से साया उठ जाने के बाद भी नहीं हारी हिम्मतबेटे के समान बेटियों को शिक्षा, सम्मान और महत्व देने के लिए समाज को जागरूक किया जा...

बचपन में पिता का सिर से साया उठ जाने के बाद भी नहीं हारी हिम्मतबेटे के समान बेटियों को शिक्षा, सम्मान और महत्व देने के लिए समाज को जागरूक किया जा...
1/ 2बचपन में पिता का सिर से साया उठ जाने के बाद भी नहीं हारी हिम्मतबेटे के समान बेटियों को शिक्षा, सम्मान और महत्व देने के लिए समाज को जागरूक किया जा...
बचपन में पिता का सिर से साया उठ जाने के बाद भी नहीं हारी हिम्मतबेटे के समान बेटियों को शिक्षा, सम्मान और महत्व देने के लिए समाज को जागरूक किया जा...
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हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतSun, 26 Sep 2021 03:22 AM
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बेटे के समान बेटियों को शिक्षा, सम्मान और महत्व देने के लिए समाज को जागरूक किया जा रहा है। ताकि बेटा-बेटी में किसी प्रकार का कोई अंतर ना रहेगी। ऐसे में बेटियां को ऊंची उड़ान में सफलता मिल सकेगी। ऐसी तमाम बेटियां है, जो आर्थिक तंगी और परेशानियों को पार करके लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। ऐसी ही एक बिटिया है

शहर के निरंजनकुंज निवासी शांति ध्यानी की पुत्री आयशा ध्यानी ने हाईस्कूल की परीक्षा 2015 में केंद्रीय विद्यालय और इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 में लिटिल एंजिल्स स्कूल से पास की। उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में बीए आनर्स सोशल वर्क में दाखिला ले लिया। आयशा के पिता राजेश ध्यानी की मृत्यु 21 साल पहले हुई थी, जब वह महज डेढ़ साल की थी। परिवार की जिम्मेदारी का बोझ उसकी मां शांति ध्यानी पर आ गया। उसके बाद आर्थिक रूप से बहुत दिक्कतें आई, लेकिन बेटी आयशा और बेटा अमन को बेहतर शिक्षा दिलाने में कोई कोर कसर नहीं रखी। बेटी दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए आनर्स पास करके परास्नातक सोशल वर्क में दाखिला लेने की तैयारी कर रही है। आयशा का कहना है कि मेरा लक्ष्य सामाजिक कार्य करके देश की सेवा करना है। आजकल परिवार वाले लड़कियों को बाहर निकलने का अवसर नहीं दे रहे हैं, जबकि बेटे को पूरा मौका देते हैं। बेटे-बेटी के बीच किसी प्रकार का अंतर नहीं रखना चाहिए। मैंने कक्षा चार से डांस सीखनी शुरू कर दी थी। डांस इंडिया डांस, चक धूम धूम, डांस के सुपर स्टार कार्यक्रम में भाग लेकर परिवार का नाम रोशन किया है। आने वाले समय में लक्ष्य को हासिल करूंगी। इस दिशा में प्रयास चल रहा है। परिषदीय स्कूल में कार्यरत मां शांति ध्यानी कहती हैं कि मेरे एक बेटी और एक बेटा है। मगर बेटी की शिक्षा पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया। किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं समझा। बेटी के सपने को साकार करने में उसका साथ दिया जाएगा।

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बेटे-बेटियों में नहीं समझा कोई अंतर

पीलीभीत। शहर के वसुंधरा कॉलोनी निवासी डॉ.अमित कुमार और शिक्षिका वर्षा सक्सेना की पुत्री आकृति राज ने गायन और कत्थक डांस विधा में जनपद में अलग पहचान बनाई है। वह तीन साल की उम्र में कत्थक डांस की प्रस्तुति देनी शुरू कर दी थी। परिवार में डॉ.अमित कुमार की दो बेटियां आकृति राज और छोटी बेटी श्रीनिका है। दोनों बेटियों की बेटे के समान परवरिश की जा रही है। 11 वर्ष की आकृति राज बेनहर पब्लिक स्कूल में कक्षा छह की छात्रा है। आकृति को संस्कार भारती, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, जिला प्रोबेशन अधिकारी, हिंदी संस्थान प्रयागराज में वर्ष 2016 में बाल काव्य सम्राट की उपाधि समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। आकृति को पढ़ाई के साथ ही नृत्य क्षेत्र में काफी रुचि है। मां वर्षा सक्सेना का कहना हैं कि मेरे दो बेटियां है, जो बेटे के समान हैं। उनमें किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं समझती हूं। बेटियों में मां-पिता के प्रति ज्यादा प्यार और लगाव होता है।

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