दलहन की पैदावार बढ़ाने में कारगर साबित हो रही फसल विविधीकरण योजना
धान की जगह दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए फसल विविधीकरण योजना जिले में कारगार साबित हो रही है। यही वजह है कि अबकी बार जिले में सैकड़ों किसानों ने...
पीलीभीत। संवाददाता
धान की जगह दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए फसल विविधीकरण योजना जिले में कारगार साबित हो रही है। यही वजह है कि अबकी बार जिले में सैकड़ों किसानों ने 1080 हेक्टयर में धान की जगह दलहन की खेती शुरू कर दी है। किसानों का दहलन की खेती की ओर रुझान फसल विविधीकरण योजना है। इस योजना के तहत किसानों को फसल की लागत की शतप्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।
धान की फसल में पानी की खपत ज्यादा होती है। इससे कही न कहीं जलस्तर पर असर पड़ता है। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने धान की जगह दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए फसल विविधीकरण योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत किसानों को फसल का शतप्रतिशत लागत सब्सिडी दी जाती है। यानी खेत की जुताई, बुआई, बीज, दवा आदि जो भी खर्चा होता है दिया जाता है। योजना का लाभ किसानों को समूह(कलस्टर) में दी जाती है। इसमें किसान सोयाबीन, उदड़, अरहर, चना, मूंग आदि की पैदावार कर सकता है।
योजना का लाभ लेने के लिए किसान को समूह बनाना ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता। आवेदन में लिखना होता है कौन सी फसल करेंगे। आवेदन के बाद विभाग के अफसर सत्यापन कर कलस्टर का चयन करते हैं। योजना के तहत किसानों को खुद पूरा पैसा लगाना होता है। बाद में विभाग समूह के खातें में धनराशि भेजी जाती है। एक कलक्टर को 10 हेक्टयर तक लक्ष्य दिया जाता है। इतना ही नही फसल की जियो टैगिंग भी होती है, ताकि शासनस्तर से निगरानी होती रही।
धान की जगह दहलन की खेती को बढ़ावा देने के लिए फसल विविधीकरण योजना काफी कारगार है। जिले में 1080 हेक्टयर में दलहन की पैदावार का लक्ष्य मिला था। इसके सापेक्ष किसानों ने दलहन की खेती शुरू की है।
डा. बृजेश कुमार गौतम, जिला परियोजना समन्वयक, डास्प