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नहाय खाय के साथ आज से छठ पर्व शुरू

बिहार और पूर्वांचल का महापर्व छठ को धूमधाम से मनाने के लिए जिले में तैयारियां शुरू हो गईं हैं। इस पर्व पर सुहागिन महिलाएं डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत रहती हैं। रविवार को नहाय खाय की रश्म...

नहाय खाय के साथ आज से छठ पर्व शुरू
हिन्दुस्तान टीम,पीलीभीतSat, 10 Nov 2018 11:51 PM
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बिहार और पूर्वांचल का महापर्व छठ को धूमधाम से मनाने के लिए जिले में तैयारियां शुरू हो गईं हैं। इस पर्व पर सुहागिन महिलाएं डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत रहती हैं। रविवार को नहाय खाय की रश्म के साथ पूजा के लिए व्रतधारियों के साथ ही घरों का भी शुद्धिकरण होगा। इसके अगले दिन शाम को छठ मैया का प्रसाद ग्रहण के साथ सुहसगिनों का 36 घंटे का अखंड निर्जला व्रत शुरू होगा।

व्रत 14 नवंबर बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही परायण होगा। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला छठ पर्व पूर्वांचल वासियों के लिए खास है। संतान प्राप्ति के साथ ही सुख समृद्धि की कामना के लिए इस पर्व पर छठी मैया के साथ ही सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। पूर्वांचल वासियों के यहां इस पर्व की तैयारियां दीपावली के बाद से शुरू हो जाती हैं। लोग घरों में सफाई और रंगाई-पुताई करने में जुट जाते हैं। जिले में जहां भी पूर्वांचल के लोग रह रहे हैं वहां इस पर्व की तैयारियां दिखने लगी हैं। शहर में रेलवे कालोनी में सबसे अधिक पूर्वांचल के लोग रहते हैं। यहां छठ पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा के लिए यहां के लोगों ने बरहा रेलवे क्रासिंग के पास स्थाई छठ घाट बनाया है। इस घाट पर वर्षों से छठ पूजा का आयोजन हो रहा है। यहां कालोनी वासियों के साथ ही शहर के आस-पास रहने वाले पूर्वांचल के लोग भी पूजा के लिए पहुंचते हैं।

कालोनीवासियों ने शुरू की घाट की सफाई: रेलवे कालोनी में रहने वाले पूर्वांचल के लोग छठ पूजा के आयोजन का जिम्मा खुद ही संभालते हैं। इसके लिए जो भी तैयारियां करनी होती हैं यह लोग मिलजुलकर कर करते हैं। बरहा रेलवे क्रासिंग पर बने छठ घाट की सफाई और रंगाई पुताई भी यह लोग अपने हाथों से ही करते हैं। शनिवार को यहां लोग तालाब की सफाई में जुटे रहे। तालाब की सफाई कर पुताई भी कर ली गई है। सफाई के बाद यहां तालाब को सजाया जाएगा। छठ पूजा समिति के सदस्य दिनेश कांति ने बताया घाट में सोमवार रात से ही पानी भरवाना शुरू कर दिया जाएगा।

छठ व्रतधारियों को करनी पड़ती है तपस्या: छठ महापर्व पर अपनी मनोकामना के लिए व्रत धारण करने वालों को कड़ी तपस्या करनी पड़ती है। व्रत धारण करने के लिलए दो दिन पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। व्रत धारण करने वालों को दो दिन पहले से ही शुद्ध शाकाहारी भोजन करना होता है। व्रतधारयिों के साथ ही परिवार के अन्य लोगों को भी खान-पान और आचार विचार की शुद्धता का पालन करना होता है। यह व्रत निर्जला होता है और पूरे 36 घंटे तक चलता है। इस दौरान व्रतधारियों को जमीन में ही सोना होता है। माना जाता है पूरे विधि-विधान से व्रत पूरा करने वालों की मनोकामना छठ मैया जरूर पूरा करती हैं। व्रतधारण करने वाले इसी आस्था और विश्वास के अपनी तपस्या पूरी करते हैं।

पूजन सामग्री की शुरू हुई खरीदारी: छठ पूजा में प्रकृति पूजा से जुड़ा हुआ पर्व है। इस पूजा की पूजन सामग्री में पाकृतिक चीजों को ही स्थान मिला है। पूजन सामग्री में बांस की डलिया, सूप, ईख, मौसमी फलों और घर के शुद्ध पकवान ही शामिल होते हैं। पूर्वांचल के लोगों ने पूजन सामग्री की खरीदारी भी शुरू कर दी है। पूजा समिति के सदस्या दिनेश कांति ने बताया कि पूजन सामग्री के लिए लोग बरेली जाते हैं। वहां सभी सामग्री एक साथ मिल जाती है। लोगों ने खरीदारी शुरू कर दी है।

150 परिवार करते हैं छठ पूजा: रेलवे कालोनी में रहने वाले पूर्वांचल के दिनेश कांति यहां छठ पूजा आयोजन की जिम्मेदारी वर्षों से संभाल रहे हैं। इनकी देखरेख में ही छठ पूजा स्थल की तैयारियां पूरी होती हैं। शनिवार को बरहा रेलवे क्रासिंग पर छठ पूजा स्थल की सफाई करवाने में जुटे दिनेश कांति ने बताया कि इस कालोनी में 150 परिवार पूर्वांचल के हैं। वह यहां वर्षों से छठ पूजा की परंपरा को निभा रहे हैं। यहां के सभी लोगों ने छठ घाट का निर्माण कराया।

संतान प्राप्ति के लिए होती है सूर्य उपासना: छठ पर्व पर भगवान सूर्य की पूजा के महत्व के बारे में पं-नारायण स्वरूप शर्मा ने बताया कि भगवान सूर्य सभी गृहों के स्वामी हैं। वह पृथ्वी में सभी जीवों के जीवनदाता हैं। उन्हें जगतपिता भी कहा जाता है।

भगवान सूर्य की उपासना वंशवृद्धि के लिए की जाती है। इसके साथ ही सूर्य देव की अराधना से यश कीर्ति में बढ़ोत्तरी होती है, पैत्रिक संपत्ति अक्षुण रहती है, कुष्ठ रोग का नाश होता है। इसके अलावा षष्टी माता को जगत पालक माना जाता है। उनकी अराधना से कोई भी भूखा नहीं रहता है।

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