Pakistan and China are helping cyber criminals in Myanmar their agents trap the youth in UP म्यांमार में साइबर अपराधियों की मदद कर रहे पाक-चीन, यूपी में युवाओं को जाल में फंसते हैं इनके एजेंट, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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म्यांमार में साइबर अपराधियों की मदद कर रहे पाक-चीन, यूपी में युवाओं को जाल में फंसते हैं इनके एजेंट

  • पाक-चीन म्यांमार में साइबर अपराधियों की मदद कर रहे हैं। यूपी के सैकड़ों बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर म्यांमार, बैकांक और कम्बोडिया में साइबर अपराधियों ने बंधक बनाकर रखा। इनके एजेंट यूपी में युवाओं को जाल में फंसते हैं।

Deep Pandey लाइव हिन्दुस्तानWed, 12 March 2025 06:35 AM
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म्यांमार में साइबर अपराधियों की मदद कर रहे पाक-चीन, यूपी में युवाओं को जाल में फंसते हैं इनके एजेंट

उत्तर प्रदेश के सैकड़ों बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर म्यांमार, बैकांक और कम्बोडिया में साइबर अपराधियों ने बंधक बनाकर रखा। पाकिस्तान और चीन की मदद से इन दोनों स्थानों पर बाकायदा ट्रेनिंग सेन्टर चल रहे हैं। यहां ट्रेनिंग देने के बाद चंगुल में फंसे भारतीयों में से कुछ को वहां रोक लिया जाता था जबकि कुछ को अपना एजेन्ट बनाकर लौटा दिया जाता था। फिर ये सब उत्तर प्रदेश के साथ देश के अन्य इलाकों में बेरोजगारों को निशाना बनाने में लग जाते थे। बीते दो साल में एसटीएफ और यूपी पुलिस ने ऐसे कई गिरोह का खुलासा हुआ। पिछले साल नवम्बर में एसटीएफ पहली बार उस नेटवर्क पहुंची थी जिससे कम्बोडिया में बैठे गिरोह की करतूत का पूरा खुलासा हुआ था।

लखनऊ के अलीगंज में पिछले साल नवंबर में डॉ. अशोक सोलंकी को डिजिटल अरेस्ट कर 48 लाख हड़पने वाले गिरोह का एसटीएफ ने खुलासा किया था। सरगना अलवर निवासी पंकज सुरेला समेत पांच लोगों को पकड़ा गया था। पकंज से ही पहली बार खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान व चीन के कुछ अपराधियों ने भारत में डिजिटल अरेस्ट वाला गिरोह फैलाया है। इनका ट्रेनिंग सेन्टर कम्बोडिया में खोला गया है। यहां बेरोजगारों को कम्प्यूटर की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिग चीनी नागरिकों ने दी। एसटीएफ ने माना था कि पहली बार डिजिटल अरेस्ट करने वाले इस गिरोह के मूल नेटवर्क का पता चला है। उसने ही बताया कि तीन सालों से यूपी ही नहीं देश के कई इलाकों से बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर म्यांमार, कम्बोडिया ले जाया गया।

यूपी के बड़े शहरों में कई एजेन्ट

पुलिस की जांच में खुलासा हो चुका है कि यूपी के लखनऊ, कानपुर, बरेली, नोएडा, झांसी, आगरा, मेरठ जैसे कई बड़े शहरों में इस गिरोह के एजेन्ट फैले हुए हैं। ये बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर अपना शिकार बनाते हैं। फिर इन्हें म्यांमार, कम्बोडिया व बैकांक भेज दिया जाता है। यहां नौकरी की जगह ये लोग साइबर अपराधियों के सम्पर्क में आ जाते हैं। पहले तो ट्रेनिंग के दौरान ये कुछ समझ नहीं पाते है। पर, कुछ दिनों में ही इन्हें आभास हो जाता है कि साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस चुके हैं।

यूपी के 100 से अधिक युवक फंसे गिरोह के चंगुल में

एसटीएफ ने खुलासा किया था कि गिरोह के 100 से अधिक लोग कम्बोडिया गए थे। इन युवकों को वहां नौकरी के नाम पर साइबर अपराध में ढकेल दिया गया। इनमें से कुछ को वहीं रोक लिया गया जबकि अन्य को वापस किया गया और उन्हें बाकायदा टार्गेट दिया गया। इस टार्गेट में निम्न वर्ग के लोगों के बैंक खाते खुलवाकर उनका एटीएम लेने के अलावा कई और युवाओं को कम्बोडिया जाने के लिए राजी करना था। बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी से पीड़ितों से वसूली जाने वाली रकम को जमा करने में किया जाता था। फिर एटीएम व चेक के जरिए रकम निकाल ली जाती थी और दूसरे जरिए से साइबर अपराध के आकाओं तक उसे पहुंचा दिया जाता था। इसके बदले एजेन्ट को कमीशन तुरन्त मिल जाता था।

लखनऊ और बाराबंकी के तीन इंजीनियर बनाए गए थे बंधक

लखनऊ के गुड़म्बा और बाराबंकी में रहने वाले तीन इंजीनियरिंग छात्रों को पिछले साल मलेशिया में नौकरी दिलाने का झांसा देकर म्यांमार ले जाया गया था। वहां इन्हें बंधक बना लिया गया था। जब एक छात्र के भाई ने सम्पर्क किया तो उसे छोड़ने के लिए वहां के अपराधियों ने फिरौती भी वसूल ली थी। इस बीच वहां बंधक बने इंजीनियरों ने अपना वीडियो भी बनाकर भेजा था। इस मामले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के थानों में मुकदमे हुए थे।

गुड़म्बा के आधारखेड़ा गांव निवासी प्रॉपर्टी डीलर जोगिंदर चौहान ने लखनऊ के एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थाने में एफआईआर लिखायी थी कि उनका भाई सिविल इंजीनियर सागर चौहान 26 मार्च को बसहा गांव के रहने वाले अपने दोस्त राहुल उर्फ आरुष गौतम के साथ मलेशिया में नौकरी करने के लिए गया था। उसे बाद में म्यांमार ले जाया गया। जहां उसके दोस्त राहुल और अजय कुमार भी थे। कुछ समय बाद सागर ने बताया कि वहां उसको बंधक बना लिया गया है। उससे साइबर अपराध कराया जा रहा है। विरोध करने पर उसे काफी प्रताड़ित भी किया गया।

ये भी पढ़ें:ऊंघने पर बाल नोचते, म्यांमार से लखनऊ पहुंचे फंसे लोगों ने बताई आपबीती

उत्तर प्रदेश के सैकड़ों बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर म्यांमार, बैकांक और कम्बोडिया में साइबर अपराधियों ने बंधक बनाकर रखा। पाकिस्तान और चीन की मदद से इन दोनों स्थानों पर बाकायदा ट्रेनिंग सेन्टर चल रहे हैं। यहां ट्रेनिंग देने के बाद चंगुल में फंसे भारतीयों में से कुछ को वहां रोक लिया जाता था जबकि कुछ को अपना एजेन्ट बनाकर लौटा दिया जाता था। फिर ये सब उत्तर प्रदेश के साथ देश के अन्य इलाकों में बेरोजगारों को निशाना बनाने में लग जाते थे। बीते दो साल में एसटीएफ और यूपी पुलिस ने ऐसे कई गिरोह का खुलासा हुआ। पिछले साल नवम्बर में एसटीएफ पहली बार उस नेटवर्क पहुंची थी जिससे कम्बोडिया में बैठे गिरोह की करतूत का पूरा खुलासा हुआ था।

लखनऊ के अलीगंज में पिछले साल नवंबर में डॉ. अशोक सोलंकी को डिजिटल अरेस्ट कर 48 लाख हड़पने वाले गिरोह का एसटीएफ ने खुलासा किया था। सरगना अलवर निवासी पंकज सुरेला समेत पांच लोगों को पकड़ा गया था। पकंज से ही पहली बार खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान व चीन के कुछ अपराधियों ने भारत में डिजिटल अरेस्ट वाला गिरोह फैलाया है। इनका ट्रेनिंग सेन्टर कम्बोडिया में खोला गया है। यहां बेरोजगारों को कम्प्यूटर की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिग चीनी नागरिकों ने दी। एसटीएफ ने माना था कि पहली बार डिजिटल अरेस्ट करने वाले इस गिरोह के मूल नेटवर्क का पता चला है। उसने ही बताया कि तीन सालों से यूपी ही नहीं देश के कई इलाकों से बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर म्यांमार, कम्बोडिया ले जाया गया।

यूपी के बड़े शहरों में कई एजेन्ट

पुलिस की जांच में खुलासा हो चुका है कि यूपी के लखनऊ, कानपुर, बरेली, नोएडा, झांसी, आगरा, मेरठ जैसे कई बड़े शहरों में इस गिरोह के एजेन्ट फैले हुए हैं। ये बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर अपना शिकार बनाते हैं। फिर इन्हें म्यांमार, कम्बोडिया व बैकांक भेज दिया जाता है। यहां नौकरी की जगह ये लोग साइबर अपराधियों के सम्पर्क में आ जाते हैं। पहले तो ट्रेनिंग के दौरान ये कुछ समझ नहीं पाते है। पर, कुछ दिनों में ही इन्हें आभास हो जाता है कि साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस चुके हैं।

यूपी के 100 से अधिक युवक फंसे गिरोह के चंगुल में

एसटीएफ ने खुलासा किया था कि गिरोह के 100 से अधिक लोग कम्बोडिया गए थे। इन युवकों को वहां नौकरी के नाम पर साइबर अपराध में ढकेल दिया गया। इनमें से कुछ को वहीं रोक लिया गया जबकि अन्य को वापस किया गया और उन्हें बाकायदा टार्गेट दिया गया। इस टार्गेट में निम्न वर्ग के लोगों के बैंक खाते खुलवाकर उनका एटीएम लेने के अलावा कई और युवाओं को कम्बोडिया जाने के लिए राजी करना था। बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी से पीड़ितों से वसूली जाने वाली रकम को जमा करने में किया जाता था। फिर एटीएम व चेक के जरिए रकम निकाल ली जाती थी और दूसरे जरिए से साइबर अपराध के आकाओं तक उसे पहुंचा दिया जाता था। इसके बदले एजेन्ट को कमीशन तुरन्त मिल जाता था।

लखनऊ और बाराबंकी के तीन इंजीनियर बनाए गए थे बंधक

लखनऊ के गुड़म्बा और बाराबंकी में रहने वाले तीन इंजीनियरिंग छात्रों को पिछले साल मलेशिया में नौकरी दिलाने का झांसा देकर म्यांमार ले जाया गया था। वहां इन्हें बंधक बना लिया गया था। जब एक छात्र के भाई ने सम्पर्क किया तो उसे छोड़ने के लिए वहां के अपराधियों ने फिरौती भी वसूल ली थी। इस बीच वहां बंधक बने इंजीनियरों ने अपना वीडियो भी बनाकर भेजा था। इस मामले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के थानों में मुकदमे हुए थे।

गुड़म्बा के आधारखेड़ा गांव निवासी प्रॉपर्टी डीलर जोगिंदर चौहान ने लखनऊ के एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थाने में एफआईआर लिखायी थी कि उनका भाई सिविल इंजीनियर सागर चौहान 26 मार्च को बसहा गांव के रहने वाले अपने दोस्त राहुल उर्फ आरुष गौतम के साथ मलेशिया में नौकरी करने के लिए गया था। उसे बाद में म्यांमार ले जाया गया। जहां उसके दोस्त राहुल और अजय कुमार भी थे। कुछ समय बाद सागर ने बताया कि वहां उसको बंधक बना लिया गया है। उससे साइबर अपराध कराया जा रहा है। विरोध करने पर उसे काफी प्रताड़ित भी किया गया।

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वीडियो भेजकर की थी गुहार

सागर और उसके साथियों ने अपने परिवार को कई वीडियो भेजे थे। इसमें प्रताड़ना का जिक्र करने के साथ ही भारत सरकार से मदद भी मांगी गई थी। तब सागर ने बताया था कि मलेशिया में ऑटो कंपनी में काम करवाने के नाम पर ले जाने के बहाने म्यांमार ले जाया गया था। वहां एक गिरोह उससे साइबर फ्रॉड करवा रहा है। विदेशों में रहने वाले भारतीयों को कॉल कर उनसे रुपये वसूलवाये जा रहे थे। उसे भारत में रहने वाले कई लोगों के भी नम्बर दिए गए थे। उन्हें साइबर ठगी के लिए टारगेट दिया जाता था। टारगेट पूरा न होने पर यातनाएं दी जाती थी।

सरकार ने की अपील, बचे ऐसे खतरनाक गिरोह से

विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर अपील की है कि केन्द्र सरकार समय समय पर ऐसे गिरोहों के बारे में आगाह करती रहती है। ये गिरोह म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर सक्रिय हैं। साइबर अपराध और अन्य धोखाधड़ी की गतिविधियों में बेरोजगारों को काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मंत्रालय ने साइट पर लिखा है कि वह अपनी चेतावनी को फिर दोहराना चाहती है। भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे विदेश में मिशनों के माध्यम से विदेशी नियोक्ताओं की साख को पहले सत्यापित करें और नौकरी की पेशकश स्वीकार करने से पहले भर्ती एजेन्टों व कंपनियों के पिछले रिकार्ड की जांच अवश्य कर लें।