
अब यूपी के इस कॉलेज पर उठे सवाल, निदेशक और अध्यक्ष पर केस; छात्र बोले-ऐसी डिग्री किस काम की?
संक्षेप: छात्राओं ने आरोप लगाया था कि कॉलेज द्वारा सत्र 2021 से 2025 तक करीब 280 छात्र-छात्राओं का एएनएम पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश दिया गया। इसके एवज में प्रति छात्र 1 लाख 20 हजार से ज्यादा तक की फीस वसूली गई। इसके बाद पता चला कि कॉलेज से मिलने वाला प्रमाण पत्र सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं में मान्य नहीं है।
बाराबंकी की श्रीरामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में लॉ फेकेल्टी की मान्यता को लेकर खड़े हुए विवाद और उसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आंदोलित कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज की घटना ने उत्तर प्रदेश के प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को लेकर सरकार को अलर्ट मोड में ला दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब प्रदेश के हर जिले में हर प्राइवेट यूनिवर्सिटी, कॉलेज और शिक्षण संस्थान की जांच शुरू हुई है। इस बीच गोरखपुर के पिपराइच क्षेत्र के बेलाकांटा स्थित सिशोदिया नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज अचानक से चर्चा में आ गया है।

यहां के निदेशक अशोक कुमार सिंह और परिषद अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। छात्रों की तहरीर पर पिपराइच पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। आरोप है कि कॉलेज से मिली नर्सिंग की डिग्री से सरकारी और प्राइवेट किसी भी संस्था में नौकरी नहीं मिल सकती है। फीस वापसी का वादा करने के बाद भी रुपये वापस नहीं मिले।
सोमवार को डीएम के निर्देश के बाद कल्पना पासवान आदि छात्राओं ने पुलिस को दी गई तहरीर में आरोप लगाया था कि सिशोदिया नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज द्वारा सत्र 2021 से 2025 तक करीब 280 छात्र-छात्राओं का एएनएम पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश दिया गया। इसके एवज में प्रति छात्र 1 लाख 20 हजार से ज्यादा तक की फीस वसूली गई। कॉलेज से उत्तीर्ण हो चुके विद्यार्थियों को जब यह पता चला की विद्यालय से मिलने वाला प्रमाण पत्र सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं में मान्य नहीं है तो फीस वापसी के लिए कॉलेज का चक्कर लगाने लगे।
मंगलवार को फीस रसीद और अन्य आवश्यक कागजात थाने पर जमा करने आई छात्राएं बबिता, काजल सिंह, काजल चौहान, निशा भारती आदि ने बताया कि 19 मई को विद्यालय के निदेशक अशोक कुमार सिंह और परिषद अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल द्वारा आश्वासन दिया गया कि सभी छात्र-छात्राओं को उनकी पूरी फीस वापस की जाएगी। उनके द्वारा लिखित रूप में एक महीने में पैसे वापस करने की बात कही गई थी।
एक महीने बाद 19 जून को विद्यालय जाने पर वहां ताला बंद मिला। छात्राओं द्वारा बताया गया है कि उक्त परिषद एवं कॉलेज की कोई वैध संबद्धता प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी स्टेट नर्सिंग काउंसिल अथवा नर्सिंग काउंसिल आफ इंडिया द्वारा मान्य नहीं है।





