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फलैश बट वैल्डिंग पटरियों पर दौडने लगी ट्रेनें

ट्रेन हादसे के बाद से रेलवे धीमी पड़ी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ने लगी है। रेलवे की ओर से लगाई गई फ्लैश बट वैल्डिंग वाली पटरियों पर ट्रेनें दौड़ने लगी हैं। पटरियों से ट्रेनों को 30 से 40 की गति से निकाला...

फलैश बट वैल्डिंग पटरियों पर दौडने लगी ट्रेनें
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फर नगरSun, 24 Sep 2017 07:30 PM
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ट्रेन हादसे के बाद से रेलवे धीमी पड़ी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ने लगी है। रेलवे की ओर से लगाई गई फ्लैश बट वैल्डिंग वाली पटरियों पर ट्रेनें दौड़ने लगी हैं। पटरियों से ट्रेनों को 30 से 40 की गति से निकाला जा रहा है। पटरियों को बिछा दिया गया। वैल्डिंग का कार्य सोमवार को किया जाएगा। 19 अगस्त को उत्कल ट्रेन हादसे के बाद से रेलवे घटनास्थल से ट्रेनों को धीमी गति से निकाल रहा था। ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के कई बाद प्रयास किये गये। लेकिन हर बार लाइनों में कोई न कोई फाल्ट नजर आया। कभी लाइनों में वैल्डिंग कमजोर तो कभी ओएचवायर में फाल्ट की समस्यां सामने आई। दुर्घटनास्थल पर क्षतिग्रस्त हुए सैकड़ों स्लीपरों को भी बदल दिया गया, उसके बाद भी ट्रेनों की गति नहीं बढ़ पाई। रेलवे ने ट्रेनों की गति बढ़ाने के कई बाद प्रयास किया। रफ्तार न बढ़ने पर विभाग ने दुर्घटनास्थल पर फ्लैश बट वैल्डिंग वाली पटरियों लगाने का निर्णय लिया। करीब एक सप्ताह पूर्व आई इन पटरियों को लगाने के लिए कर्मचारी दिन रात लगे रहे। पटरियों को जानसठ रोड फाटक से बुआड़ा रोड फाटक तक लगाया गया। रविवार से इन पटरियों पर ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो गया। जो ट्रेने 10 की गति से गुजर रही थी। वो इन पटरियों पर 30 से 40 की गति से गुजारी गई। बता दें कि ट्रेन हादसे के बाद से लाइनें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। स्लीपर भी टूट गये थे। विभाग ने आनन-फानन में ट्रेनों का संचालन हादसे के करीब 35 घंटे बाद ही करा दिया था। विभाग की माने तो फ्लैश बट वैल्डिंग पटरियों को आधुनिक तकनीक से बनाया गया है। पुरानी लाइने 30 से 40 मीटर की होती रही। लेकिन इन पटरियां 90 से 100 मीटर के करीब लम्बाई होती है। इन पटरियों पर मशीन द्वारा ही वैल्डिंग किया जाता है। जिस जगह पर वैल्डिंग किया जाता है। उसका पता भी नहीं चल पाता है कि यहा पर पटरियों को वैल्डिंग से जोड़ा गया है। अस्थाई फाटक बना शोपीस बुआड़ा रोड फाटक सबसे व्यस्तम फाटक माना जाता है। फाटक से दर्जनों गांव के लोग गुजरते हैं। कई बार वाहनों से फाटक क्षतिग्रस्त भी हो चुका है। आये दिन फाटक के क्षतिग्रस्त होने पर विभाग ने सालों पूर्व अस्थाई फाटक लगाया था। जो शोपीस बनकर रह गया है। ट्रेन हादसे के बाद वाहनों को इसी फाटक से निकाला गया। जिसके चलते वाहन की लगी टक्कर से फाटक क्षतिग्रस्त हो गया है। फोटो 126 क्षतिग्रस्त हुई पटरियांे की जगह पर लगाई गई फ्लैश बट वैल्डिंग पटरियांफोटो 127 पटरियांे पर दौडती एक्सप्रेस ट्रेनफोटो 128 वाहन की टक्कर से क्षतिग्रस्त हुआ अस्थाई फाटक

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