खुलासा, मजदूरों ने ही डाली थी पोली हाउस में डकैती
- चार डकैत पकड़े, चार हुए फरार पुलिस ने किया मुकदमा दर्ज
तीन दिन बाद चलसीना-फुलत मार्ग पर पोली हाउस में हुई डकैती का रतनपुरी पुलिस ने खुलासा किया है। मुठभेड़ के बाद चार डकैतों को पुलिस ने पकड़ा। जबकि चार अभी भी फरार है। पकड़े गए डकैतों से पुलिस ने नगदी, मोबाइल पहचान पत्र तमंचा बरामद किया। पूछताछ के बाद पुलिस ने पकड़े गए डकैतों का चालान कर लिया। हालांकि लूटी गई रकम तक 38000 हजार बताई गई थी लेकिन बरामदगी मात्र 360 रुपए हुई है। सोमवार को रतनपुरी थाने पहुंचे सीओ गिरिजा शंकर त्रिपाठी ने बताया की थाना प्रभारी राजेंद्र गिरी ने चैकिंग के दौरान फुलत मार्ग पर जंगल में चार युवक दिखाई देने पर उन्हें रुकने का इशारा किया तो उन्होंने पुलिस पर फायर कर दिया। उधर पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। मुठभेड़ के बाद पुलिस ने घेराबंदी कर चार युवकों को पकड़ लिया। थाने लाकर युवकों से पूछताछ की गई तो बड़ा खुलासा हुआ। उन्होंने बताया की तीन दिन पूर्व चलसीना-फुलत के जंगल में पोली हाउस में बिहार के मजदूरों को बंधक बनाकर डाका डाला था। पकड़े गए बदमाशों ने पूछताछ में अपने नाम विजय उर्फ छोटा पुत्र ब्रहमपाल, अश्वनी उर्फ आशू पुत्र महावीर, सोनू उर्फ छोटू पुत्र राजवीर और संजीव पुत्र कालेराम निवासीगण ग्राम फुलत थाना रतनपुरी जनपद मुजफ्फरनगर बताया। जबकि फरार बदमाशों के नाम अन्नू पुत्र ओमप्रकाश कपिल पुत्र सोमपाल, नीशू पुत्र सुनील निवासी गांव फुलत और चिराग पुत्र रमेश उर्फ भूती निवासी ग्राम जडौदा थाना मंसूरपुर जनपद मुजफ्फरनगर है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए डकैतों पर पहले भी कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने इन चारों बदमाशों के पास से गत दिवस लूटे गये 360 रुपये, मोबाइल, दो पहचान पत्र के अलावा एक तमंचा, एक खोखा कारतूस, दो जिन्दा कारतूस 315 बोर और दो चाकू बरामद किए। पुलिस ने चारों बदमाशों को जेल भेजकर पुलिस ने फरार बदमाशों की तलाश शुरू कर दी है। डकैतों को पकड़ने मैं निरीक्षक ललित कुमार, उप निरीक्षक संजय कुमार राघव, कांस्टेबल संजय कुमार, कांस्टेबल मुकेश कुमार, कांस्टेेबल जितेन्द्र, आदि मौजूद रहे।यह था मामलातीन दिन पूर्व चलसीना फुलत मार्ग पर पोली हाउस में बिहार के पांच मजदूरों को बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट कर 38 हजार की नकदी को बदमाश लूट ले गए थे। मारपीट में तीन मजदूर भी घायल हुए थे। जिनका उपचार अस्पताल में कराया गया था। पुलिस ने घटना को छुपाने का काफी प्रयास किया था, लेकिन हंगामा होने के बाद पुलिस हरकत में आई और उन्होंने बदमाशों की तलाश शुरू की। डकैती मामले में पुलिस ने तीन दिनों में एक दर्जन से अधिक संदिग्ध लोगों से थाने में पूछताछ भी की।