भगवान वासु पूज्य का कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया
भगवान वासु पूज्य का कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया
रविवार को अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर जैन धम के अनुयायियों ने श्रद्वा व भक्ति के साथ भगवान वासु का कल्याणक महोत्सव पूजा अर्चना के साथ मनाया। नगर के नौ मंदिरों में निर्वाण लडू, समर्पित करने के लिए स्त्री पुरूष व बच्चों की भारी भीड रही। दशलक्षण पर्व के अन्तर्गत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। जैन मंडी मंदिर से नसिया मंदिर तक जल कलश यात्रा निकाली गई। मंदिरों में जिनेद्र भगवान की प्रतिमा का अभिषेक नवन किया गया।
इस पावन अवसर पर मांगलिक धर्म संदेश में अशोक एलआईसी वाले व कल्पेन्द्र जैन ने बताया कि समाज उत्तम ब्रहमचर्य धर्म की पूजा करते है। ब्रहर्च का अर्थ होता है कि अपनी ज्ञान रूपी आत्मा में लीन होना। व्यवहार में मन के विकारों को जीतने का नाम ब्रहमचर्य है। नारी जाति का सम्मान करना गृहस्थ का ब्रहमर्च है। हमारे पुराणों में सीता, द्वोपदी, मनोरमा, अजना, रमणमजूषा, आदि महासतियों तथा भगवान पार्श्व महावीर सुकौशन मुनि भीष्म पितामह आदि सत पुरूषों के प्ररेक जवन प्रसंग मिलते है। दशंग धर्म के आचरण से आत्मा निर्मल व निवकार होती है। अनंत चतुर्दशी के पावन दिन इस धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना होगा। इस असवर पर अतुल, विनीत, जयकुमार, अमित, नीरज, मनोज, पुनीत, विवेक, शंशाक, वैभव, विपनि, संजय, विजय, दिनेश, सुरेन्द्र, अजय, प्रभास, सुनील, मनोज, सुधीर, राजू, डा ज्योति जैन, नीलम, आंचल, रजनी, डा आशा पुलकित, रीतू, दीपा पायल नीरज जैन आदि मौजूद रहे।