विकास खण्ड प्रांगण में तौलकर्मी देवबन्द मिल प्रशासन तानाशाही का आरोप लगाते हुए तीसरे दिन भी भूख हड़ताल पर बैठे है।
मिल के तौलकर्मियों की मानदेय बढ़ाने,दुर्घटना में मृत्यु होने पर मुआवजा व परिजनों को नौकरी दिए जाने की मांग को,मिल प्रशासन द्वारा अनसुनी किये जाने पर तौलकर्मियों में मिल प्रशासन के प्रति रोष है। वही एक के बाद एक संगठन द्वारा सहानुभूति वश तौलकर्मियों को समर्थन दिया जा रहा है। पूर्व में किसान संगठन द्वारा मिलकर्मियों को समर्थन दिया गया था। शुक्रवार को भारतीय किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठा.पूरन सिंह व भाकियू किसान सेना के मंडल अध्यक्ष इसरार त्यागी ने साथियों के साथ भूख हड़ताल स्थल पर पहुंचकर तौलकर्मियों को समर्थन देने की घोषणा की और चार जनवरी तक मिलकर्मियों की शीघ्र मांगे न मानने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। शुक्रवार को दुष्यंत पुंडीर,सरताज त्यागी,मोहित बजरंगी व अंकित कुमार भूख हड़ताल पर बैठे। इस मौके पर बबली शर्मा, जिले सिंह, कुशलपाल, मदन सिंह आदि मौजूद रहे।
कोई तौल लिपिक मिल का सीधे तौर पर कर्मचारी नही
दूसरी ओर देवबंद चीनी मिल प्रबंधन ने जिला गन्ना अधिकारी को भेजे गए अपने जवाब में कहा है कि तौल लिपिकों ने अचानक ही 27 दिसंबर को अवैधानिक रूप से तौल कार्य बंद कर दिया। बिना किसी पूर्व सूचना के तौल कार्य बंद किए जाने से चीनी मिल की तौल बाधित हो गई। गन्ना खेतो व बुग्गियों में सूखने सेकिसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा। मिल प्रबंधन का कहना है कि वर्तमान पेराई सत्र में किसी भी तौल लिपिक को स्थाई नही किया गया है। मिल प्रबंधन का कहना है कि जो तौल लिपिक धरना दे रहे हैं उनको कंपनी द्वारा बाह्रय स्रोत्र (शिमलाना सहारनपुर की एक कंपनी) के माध्यम से संविदा पर उपलब्ध कराया गया है। ये तौल लिपिक कंपनी केद्वारा सीधे तौर पर कर्मचारी नही बनाए गए हैं। मिल प्रबंधन का कहना है कि कारखाना ग्रेड पे के अनुसार तौल लिपिकों को वेतन का भुगतान किया जा रहा है। उनकी 22 हजार प्रतिमाह दिए जाने की मांग गलत है। इसके अलावा गन्ना आयुक्त द्वारा ईआरपी के माध्यम से बनाई गई पॉलिसी के अनुसार जिला गन्ना अधिकारी ही कर सकते हैं। मिल प्रबंधन का कहना है कि दुर्घटना होने पर सभी कर्मियों का पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी और कर्मचारी क्षतिपूर्ति पॉलिसी के अनुसार बीमा कराया गया है। मिल प्रबंधन ने तौल लिपिकों के आंदोलन को गलत बताया।