वेद पठन पाठन के अधिकार का प्रतीक है यज्ञोपवीत: स्वामी ओमानंद
वेद पठन पाठन के अधिकार का प्रतीक है यज्ञोपवीत: स्वामी ओमानंद
भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम के श्री शुकदेव संस्कृत माध्यमिक विद्यालय में श्रावणी के अवसर पर पीठाधीस्वर स्वामी ओमानंद महाराज के सान्निध्य में 51 नवीन प्रविष्ट वटुक विद्यार्थियों का उपनयन वेदारंभ संस्कार करवाया गया। इस अवसर पर स्वामी ओमानंद महाराज ने कहा कि सोलह संस्कारों में यज्ञोपवीत संस्कार मनुष्य जीवन का सबसे आवश्यक एवं महत्वपूर्ण संस्कार है। यज्ञोपवीत वेद पठन पाठन के अधिकार का प्रतीक है, जो संतुलित, संयमित और उदेश्यपूर्ण जीवन के लियॆ प्रेरित करता है। यज्ञोपवीत कर्तव्य परायण सत्यनिष्ठ जीवन जीने, सन्मार्ग पर चलने तथा सत्कर्म की प्रेरणा देकर जीवन के लक्ष्य का बोध कराता है। अनादि काल से ही यज्ञोपवीत धारण करने की परम्परा रही है। सृष्टि से पूर्व विधाता ब्रह्मा जी और बाद में भगवान राम और कृष्ण भी यज्ञोपवीत धारण करते थे। श्रावणी उपाक्रम द्विजों का उत्सव महापर्व है, जो आत्मशुद्धि तथा अंत:करण की पवित्रता और निर्मलता का आधार है। प्रधानाचार्य गिरीश चंद्र उप्रैती के नेतृत्व में श्रावणी उपाक्रम के अंतर्गत प्रायश्चित स्नान, दश विधि स्नान, हेमान्द्री संकल्प, ऋषि पूजन और तर्पण, यज्ञ कराया गया। इस अवसर पर कथाव्यास अचल कृष्ण शास्त्री, सुमन कृष्ण शास्त्री, आचार्य अरुण, दीपक मिश्रा, विजय शर्मा, डा. अंकुश, आचार्य युवराज, ठाकुर प्रसाद, राजेंद्र यादव आदि मौजूद रहे।
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