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मुर्गी चोरी कराई और मुर्गी हमारे हाथ भी ना आई; मुकदमों में साजिश वाली धारा लगाने पर बोले आजम

मुर्गी चोरी कराई और मुर्गी हमारे हाथ भी ना आई; मुकदमों में साजिश वाली धारा लगाने पर बोले आजम

संक्षेप: जेल से छूटने के बाद रामपुर पहुंचे आजम इन दिनों कई इंटरव्यू दे चुके हैं। इंटरव्यू के दौरान आजम कभी मुलायम सिंह के दौर को याद करते दिखे तो कभी अखिलेश यादव को लेकर नाराज नजर आए। आजम ने एक इंटरव्यू में अपने ऊपर दर्ज मुर्गा, भैंस, किताब डकैती जैसे मुकदमों को साजिश बताया।

Thu, 2 Oct 2025 08:35 PMDinesh Rathour लाइव हिन्दुस्तान, रामपुर
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जेल से छूटने के बाद रामपुर पहुंचे आजम इन दिनों कई इंटरव्यू दे चुके हैं। इंटरव्यू के दौरान आजम कभी मुलायम सिंह के दौर को याद करते दिखे तो कभी अखिलेश यादव को लेकर नाराज नजर आए। आजम ने एक इंटरव्यू में अपने ऊपर दर्ज मुर्गा, भैंस, किताब डकैती जैसे मुकदमों को साजिश बताया। आजम ने जेल की कोठरी के किस्सों को भी साझा किया। इस दौरान उन्होंने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। आजम खान ने कहा, मैं राजनीति का मकसद जानता था। हम ये जानते थे कि विधायक हों, सांसद हों या मंत्री हों, हमारा काम लोगों की सेवा करना है। राशन कार्ड बनवाना है। मरीज का इलाज करवाना है। विधवा की पेंशन करना है, किसी को नौकरी-कारोबार दिला सकें तो दिलाना है। सड़कें, गलियों बनवाना है। हमे सरकार का ये अधिकार मालूम ही नहीं था। हमे ये खबर ही नहीं थी कि सरकार के पास जुल्म करने की भी ताकत होती है।

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सरकार के पास किसी से नफरत करने की भी ताकत होती है। सरकार के पास किसी को बर्बाद, तबाह और नेस्तनाबूत करने की भी ताकत होती है। हम तो ये जानते थे कि सरकार लोगों को इंसाफ दिलाती है। अगर कोई नाजायज तरीके से काम कर रहा है कि तो पुलिस उसकी जांच करने के लिए बैठी है। हमे तो ये मालूम ही नहीं था, ये तो हम अब जाने हैं और अब सीखे हैं कि सरकारों का ये काम भी है। और शायद अब ये समझ में आया कि सरकारों को बस यही काम है। खुद के ऊपर दर्ज मुकदमों का जिक्र करते हुए आजम खान ने कहा, मुर्गी, भैंस, बकरी, फर्नीचर और किताब डकैती मैंने सीधे नहीं किया है। सारी सजाएं मुझे 120 दी गई हैं। मैंने एक दिन कहा कि जाओ इनका मुर्गा उठा लाओ। इंटरव्यू के दौरान आजम खान अपने पुराने अंदाज में शेयरों-शायरी भी करते नजर आए। आजम बोले- न खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम। न इधर के हुए न उधर के हुए। मुर्गी भी चोरी कराई और मुर्गी हमारे हाथ भी नहीं आई।

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दीवारें कूदकर घर में घुस गई थी इनकम टैक्स की टीम

मुर्गी सभी सोने की थीं क्या? के सवाल पर आजम ने कहा-ये तो वही बताएंगे जिनके पास सोने की कुर्सियां औ सोने का ताज है। एक फकीर से ये सब आप कैसे पूछ सकते हैं। इतनी डकैती के बाद भी कुछ बदला क्यों नहीं‌? जो पैसा डकैती से आया था वह गया कहां? के सवाल पर भी आजम खान खुलकर बोले। उन्होंने कहा, सीबीआई और ईडी जांच हुई। पांच महीने कोरोना में रहने के बाद जब घर आया तो ईडी वाले आ जाते थे। चार-पांच दिनों तक पांच-पांच छह-छह घंटे पूछताछ करते थे। इनकम टैक्स वाले दीवारें कूदकर घर में घुस आए थे। साढ़े तीन हजार रुपये मेरे पास निकले थे। बेटे अब्दुल्ला के पास 11 हजार रुपये निकले थे। बड़े बेटे के पास 600 रुपये थे और बीवी के पास केवल 100 ग्राम सोना था। बड़ी-बड़ी मशीनें नोटों को गिने के लिए लाए थे। लखनऊ से सोनार आया था सोना तौलने के लिए। मैंने कहा था कि दीवारों में छिपा रखा है, आपको हक है चाहें तो आप पूरा घर गिरा दें। रुपया-पैसा तलाश कर लें। हम तहखाने में रह लेंगे, लेकिन आपकी तसल्ली होना चाहिए। पूरी दुनिया की बैंकों में हमारे सिर्फ दो खाते हैं। एक संसद की सैलरी और पेंशन का। दूसरा विधानसभा की सैलरी और पेंशन का। बाकी पूरी दुनिया में हमारा कोई खाता नहीं है और न ही हमारी कोई जमीन है।

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मेरा काफिला तो एक रिक्शा वाला रोक देता था

आज के दौर में कोई ग्राम प्रधान भी बन जाता है तो वह अपने काफिले के साथ निकलता है?इस पर आजम खान बोले-वो ग्राम प्रधान होकर भी कुछ होता है, लेकिन मैं कुछ नहीं हूं। मेरा काफिल एक रिख्शा वाला रोक देता है तो मैं रुक जाता हूं। टाटा-बिरला नहीं रुकेंगे। अगर हमे जुल्म का एहसास होता तो भाग जाता, छूट जाता या फिर समझौता कर लेता। सरेंडर कर देता, हाथ जोड़ लेता, पैर पकड़ लेता। भागने और बचने का मौका ही कब दिया। प्रोफेसर बीवी, बूढ़ी बीवी, जिसकी कमर भी भी आर्टीफीशियल है जो सकता उसको जेल जाने से रेाक लेता। उस बच्चे का जिसका करियर शुरू भी नहीं हुआ था उसके लिए रोक लेता। मरी हुई मां जो कब्र में है उस पर मुकदमा कायम होने से रोक लेता। रिटायर्ड भाई को जेल जाने से बचा लेता। प्रिंसिपल बहन को जेल जाने से बचा लेता। इसके बाद आजम ने फिर शेयर पढ़ा। बोले-मैं अगर दस्त न होता तो समंद होता। आजम बोले-अब शर्मिंदगी होती है। खुद अपने वजूद पर शर्म आती है। अपनी जिंदगी पर शर्म आती है। मैंने ये कैसा वक्त गुजारा, क्या दिया, क्या खोया। इस पर शर्म आती है। अपने ही वतन में बेवतन हो गए। गद्दार गहलाए। जलील रुसवा हुए। आने वाली नस्लें जब जानेंगे कि यूनिवर्सिटी का मालिक चोर था, क्या हालत होंगे?

Dinesh Rathour

लेखक के बारे में

Dinesh Rathour
दिनेश राठौर लाइव हिन्दुस्तान की यूपी टीम में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर हैं। कानपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। डिजिटल और प्रिंट जर्नलिज्म में 13 साल से अधिक का अनुभव है। लंबे समय तक प्रिन्ट में डेस्क पर रहे हैं। यूपी के कानपुर, बरेली, मुरादाबाद और राजस्थान के सीकर जिले में पत्रकारिता कर चुके हैं। भारतीय राजनीति के साथ सोशल और अन्य बीट पर काम करने का अनुभव। इसके साथ ही वायरल वीडियो पर बेहतर काम करने की समझ है। और पढ़ें
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