मुरादाबाद में आखिर क्यों नहीं रुक रही मिलावट, पढ़ें खबर
आम जनता को मिलावट के कहर से बचाने को तमाम जतन होते पर वह कारगर नहीं दिखते। सैंपल भरने, वाद दायर करने और जुर्माना होने के बाद भी स्थिति जस की तस है। जनता को मिलावट से राहत नहीं और सरकारी खजाने में...
आम जनता को मिलावट के कहर से बचाने को तमाम जतन होते पर वह कारगर नहीं दिखते। सैंपल भरने, वाद दायर करने और जुर्माना होने के बाद भी स्थिति जस की तस है। जनता को मिलावट से राहत नहीं और सरकारी खजाने में जुर्माने की रकम भी नहीं आ रही। इससे दोनों मकसद पूरे नहीं हो रहे। खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से फेल नमूने के वाद तो दायर हुए। सुनवाई के बाद तगड़े जुर्माने लगे पर जुर्माने की रकम ही नहीं जमा हो रही। अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक दो करोड़ से ज्यादा रुपए के जुर्माने हो चुके हैं। एडीएम सिटी कोर्ट में सुनवाई के बाद चाय और दूध वालों पर भी छह-छह लाख रुपए के जुर्माने हुए। ज्यादातर लोग जुर्माना चुकाने की जगह अपील में चले गए। कुछ विक्रेताओं का कहना है इतना ज्यादा जुर्माना वह अदा कर ही नहीं सकते। बावन फीसदी नमूने अस अवधि में मानकों के अनुरूप नहीं मिले। सैंपल भरने के बाद उनकी रिपोर्ट भी काफी समय में आती है इससे पब्लिक का जो नुकसान होना होता है वह नहीं रुक पाता। इससे खाद्य विभाग द्वारा मिलावट रोकने का मकसद पूरा नहीं हो रहा है।
अप्रैल 2019 से 31 जनवरी 20202 तक
2.7 करोड़ रुपए जुर्माना एक अप्रैल 2019 से 31 जनवरी 20202 तक लगाया गया है
52 फीसदी नमूने इस अवधि में मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए
487 नमूने भरे गए, 395 में जांच रिपोर्ट आई, 143 अधोमानक निकले, 23 असुरक्षित
केस एक
काशीपुर रोड जलालपुर चौकी के पास नवंबर 2016 में शौकत निवासी तुमड़िया जहांगीरपुर से मावा का सैंपल लिया गया। लैब की जांच में 30 फीसदी फैट कम निनकला। इन पर 6.10 लाख रुपए का जुर्माना लगा है।
केस दो
नवंबर 2016 में ही रामपुर रोड से रहीस पुत्र इमामुद्दीन से दूध का नमूना लिया गया। लैब ने 22 प्रतिशत फैट कम बताया। इन पर 6.20 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया। रजिस्ट्रेशन न होने और अधोमानक सैंपल पर जुर्माना लगा।
खाद्य विभाग नमूनो की सैंपलिंग करके लैब में भेजता है। जो नमूने अधोमानक, मित्थ्या छाप होते हैं उनके वाद एडीएम सिटी की कोर्ट में दायर होते हैं। असुरिक्षत मामले अनुमति के बाद न्यायालय में जाते हैं। जुर्माना एडीएम सिटी की कोर्ट में ही लगाया जाता है। ज्यादातर मामलों में जुर्माना जमा नहीं हुआ है।
बिनोद कुमार सिंह, अभिहीत अधिकारी खाद्य सुरक्षा विभाग