महर्षि वाल्मीकि के प्रकट उत्सव पर नशाखोरी जैसी बुराइयां दूर कर समाज को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया
Moradabad News - रामायण के रचयिता भगवान वाल्मीकि के प्रकट उत्सव पर समाज ने नशाखोरी से दूरी और पढ़ाई की जरूरत जैसे मुद्दों पर जोर दिया। कार्यक्रमों में अंधविश्वास के खात्मे और सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने के प्रयास किए...

रामायण के रचयिता, महान समाज सुधारक, मार्गदर्शक और महान ऋषि भगवान वाल्मीकि के प्रकट उत्सव पर समाज के लोगों ने उनके दिए गए संदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया। समाज को आगे बढ़ाना, नशाखोरी से दूरी, पढ़ाई की जरूरत जैसे मुद्दों पर जोर दिया। वाल्मीकि जयंती पर सोमवार को समाज के लोगों ने शहर में कई स्थानों पर कार्यक्रम किए। इस में समाज को नई दिशा, बुराइयों से दूर करने, अंध विश्वास के खात्मे पर जोर दिया। सामाजिक चेतना के लिए आगे बढकर काम करना और समाज की तरक्की को रेंखांकित किया। वाल्मीकि समाज से जुड़े अगुवाकारों ने कहा कि, जिस तरह से भगवान वाल्मीकि ने अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाया है और जो उन्होंने संदेश दिया है, उसी को हम लोग आगे बढ़ाकर युवा पीढ़ी को नशा छोड़ो संस्कार जोड़ों की राह पर ले चलने का प्रयत्न कर रहे है।
समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने की दिशा में अलख जगा रहे हैं। हर वर्ष मनाए जाने वाले वाल्मीकि के प्रकट उत्सव से लोग प्रेरणा लेकर उसी राह पर चलने पर प्रयास करते हैं। समाज के लोग ऐसी गतिविधियों का आयोजन करते हैं जिससे समाज में जागरूकता आए। भगवान वाल्मीकि का संदेश उन तक पहुंचे। उनके विचारों को आत्सात कर उनके बताए रास्ते पर चल सकें। -------- समाज के लोगों के अनुसार जिले में तकरीबन पांच लाख वाल्मीकि समाज के लोग रह रहे हैं, जबकि शहर में यह संख्या सवा लाख बताई जा रही है। शहर में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 50 वाल्मीकि मंदिर है। हर वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन वाल्मीकि समाज के यह लोग प्रकट उत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं और इस दौरान महर्षि वाल्मीकि के दिए गए उपदेशों, विचारों को अपने जीवन में आत्मसात कर लोगों को भी उसी रास्ते पर ले जाने का प्रयास करते हैं। वाल्मीकि को सिर्फ रामायण के रचयिता के रूप में ही नहीं बल्कि एक महान समाज सुधारक, मार्गदर्शक और संत के रूप में भी लोग पूजते हैं। उनका जीवन इस बात की ओर से प्रेरित करता है कि आत्मबोध और साधना से कोई भी व्यक्ति अंधकार से प्रकाश की ओर जा सकता है। महर्षि वाल्मीकि बनने की उनकी यात्रा आज भी हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा है। उनके जीवन के निहितार्थ है कि, बुराई कितनी भी गहरी क्यों न हो अगर मन में सच्ची भावना और सही मार्गदर्शन मिल जाए तो उसे आसानी से छोड़ा जा सकता है। हजारों साल पहले दिए गए वाल्मीकि के संदेश को इन कार्यक्रमों के जरिए आगे बढ़ाने का संदेश देने वाले समाज के यह लोग कहते हैं कि, अब लोगों में जागरुकता आ रही है। नशाखोरी से लोग तौबा कर रहे हैं। लोगों के छोटे-छोटे प्रयासों से अंधकार दूर होकर उनके जीवन में उजाला फैल रहा है। कार्यक्रम करने के पीछे यही मूल उद्देश्य भी है। जिससे ज्यादा से ज्यादा जागरूकता लाई जा सके।
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