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दो साल की बच्ची को निकला एड्स, अब शुरू होगा इलाज

दो साल की ये मासूम बच्ची मम्मी की गोद में बैठी थी। अरे....डॉक्टर साहब, इसका चिड़चिड़ापन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। बेटी बहुत परेशान हो रही है। मां-बाप ने ये कहकर उसकी समस्या को बयां किया। लेकिन, डॉक्टर...

दो साल की बच्ची को निकला एड्स, अब शुरू होगा इलाज
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादWed, 23 Aug 2017 08:00 PM
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दो साल की ये मासूम बच्ची मम्मी की गोद में बैठी थी। अरे....डॉक्टर साहब, इसका चिड़चिड़ापन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। बेटी बहुत परेशान हो रही है। मां-बाप ने ये कहकर उसकी समस्या को बयां किया। लेकिन, डॉक्टर को अभी इस मासूम के परेशान होने की हकीकत पता चल चुकी थी। जिला अस्पताल पर स्थित एंटी रेटरो वायरल ट्रीटमेंट सेंटर जहां, एचआईवी एड्स के मरीजों का इलाज होता है। दो साल की ये बच्ची भी उन्हीं मरीजों में शामिल हो गई। बच्ची को एड्स होने की आशंका में कुछ दिन पहले उसकी जांच कराई थी जिसमें वह पॉजिटिव आई। एआरटी सेंटर के परामर्शदाता रत्नेश शर्मा ने बताया कि अब बच्ची का एड्स का इलाज शुरू होगा। बच्चों के लिए एड्स की दवाएं सीरप के रूप में हैं। मां को चढ़ा था संक्रमित खून इस मासूम बच्ची के जन्म से पहले उसकी मां को एनिमिया से पीड़ित होने के चलते उसे खून चढ़ाया गया था। दुर्भाग्य से, खून एचआईवी संक्रमित था। बच्ची के पैदा होने के बाद मां में एचआईवी एड्स की पुष्टि हुई। मां बाप को ये बीमारी बच्ची में होने का अंदेशा हो गया था, जोकि सही निकला। खतरनाक विंडो पीरियड की जद में आई मां कोई व्यक्ति अगर कुछ ही दिन पहले एचआईवी एड्स से संक्रमित है और वह रक्तदान करता है तो खून की जांच में एचआईवी का संक्रमण पता नहीं चलता। विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमण के 80 दिन बाद ही खून की जांच में इसका पता चलता है। यही विंडो पीरियड है। सामान्य पैथोलॉजी जांच में इस संक्रमण का पता नहीं चलता। हालांकि, कुछ बड़े अस्पतालों में हाईटेक जांच से विंडो पीरियड वाले संक्रमण का पता लगाना संभव हो गया है। ऐसे में, जिस व्यक्ति को संक्रमित व्यक्ति का खून चढ़ा है उसे एचआईवी एड्स होने का खतरा रहता है।

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