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ठाकुरद्वारा में फिर दिखे दो तेंदुए

मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के...

मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के...
1/ 3मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के...
मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के...
2/ 3मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के...
मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के...
3/ 3मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के...
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादThu, 20 Sep 2018 07:50 PM
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मुरादाबाद के कई ग्रामीण इलाके तेंदुए के आतंक से ग्रामीण सहम गए हैं। खासतौर से ठाकुरद्वारा, कांठ, बिलारी, छजलैट और भोजपुर के इलाके में तेंदुआ कई लोगों पर हमले कर चुका है। बुधवार को ठाकुरद्वारा के मुनीमपुर गांव में तेंदुआ मां की गोद से दो वर्ष की बच्ची को छीन ले गया था। ग्रामीणों ने किसी तहर बच्ची को तेंदुए के जबड़े से छुड़ाया था। इसके बाद भी वन विभाग की टीम गांव नहीं पहुंची। रात में ग्रामीणों ने तेंदुए की तलाश की तो दो तेंदुए खेतों में दिखाई दिए। ग्रामीणों की भीड़ देख तेंदुआ खेतों की ओर भाग गया।

कोतवाली क्षेत्र के गांव बालापुर में नौ वर्षीय बच्चे शिवा को निवाला बनाने के बाद तेंदुए ने बुधवार को मां की गोद से दो वर्षीय बच्ची वंदना को छीनकर जबड़े में दबाकर खेत में चला गया था। लेकिन बाप ने पीछा कर बच्ची को तेंदुए के जबड़े से छीन लिया था। इससे पहले भी तेंदुआ नया गांव बहादुर नगर में नौ वर्षीय बच्चे सुहेल और दरियापुर में वृद्ध लीलावती को निवाला बना चुका था। बुधवार को ग्रामीणों ने मलकपुर सेमली के बस स्टैंड पर चक्काजाम कर जर्बदस्त प्रदर्शन किया था। भारी पुलिस बल और पीएसी ने जाम खुलवाया था। इन घटना से आक्रोशित ग्रामीणों को दिलासा दिया गया था कि गांव में डब्लयूडब्लयूएफ की टीम पहुंचकरड्रोन कैमरों से निगरानी करते हुए तेंदुए के आतंक से छुटकारा दिलाएगी। लेकिन गुरुवार की शाम तक टीम मुनीमपुर नहीं पहुंची और न ही वन कर्मियों और अधिकारियों ने मुनीमपुर पहुंचना उचित समझा। डब्लयूडब्लयूएफ और वन विभाग की टीमें गांव में न पहुंचने पर ग्रामीणों ने खुद ही तेंदुए से निपटने का इरादा कर ग्रामीणों ने रात भर लाठी-डंडे और टार्च लेकर जंगलों की खाक छानी। यह हाल तब है जब रात में कांबिंग करते वक्त ग्रामीणों को दो तेंदुए क्षेत्र में घूमते हुए दिखाई दिए। ग्रामीणों ने तेंदुए की वीडियो क्लिप भी बनाई मगर इसके बाद भी वन विभाग की टीम नहीं पहुंची। हाल यह है कि जंगल से सटे गांवों में लोगों ने अंधेरा होने के बाद निकलना छोड़ दिया है।

ग्रामीणों ने खुद संभाला मोर्चा

रात में कांबिंगमुनीमपुर के आक्रोशित ग्रामीणों ने खुद ही तेंदुए से निपटने के लिए लाठी-डंडे उठा लिए और टार्च लेकर तेंदुए की तलाश में रात आठ बजे जंगल में निकल पड़े। ग्रामीणों ने अपने मोबाइल फोन भी चालू कर लिए। कुछ ही देर बाद तेंदुआ नजर आ गया। ग्रामीणों की भीड़ देख तेंदुआ खेतों में समा गया। टार्च की रोशनी में तेंदुआ खेतों की ओर भागता नजर आया। गांव के विजय सिंह, महीपाल सिंह, जगराम सिंह, धर्मवती, माया देवी, अनिता , गुड्डी, बीना तुलसी, आदि ने देर रात तक जंगलों की खाक छानते हुए कड़ी नाराजगी जताई। ग्रामीणों का कहना है कि लगता है वन विभाग को बड़े हादसे का इंतजार है। वन विभाग की लापरवाही से आक्रोशित ग्रामीणों ने फिर से सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।

बच्ची के पिता ने उठाया इलाज का खर्च

तेंदुए के जबड़े से छूटी वंदना को पुलिस जिला चिकित्सालय तो ले गई। लेकिन उसके इलाज का खर्च पिता वीर सिंह को ही उठाना पड़ा। तेंदुए के हमले से घायल बच्ची को सीएचसी में पर्याप्त इलाज भी नहीं मिला। तेंदुए के हमले से रैबीज न हो जाए इस आशंका को खत्म करने के लिए मंहगे इंजेक्शन वीर सिंह को ही खरीदने पड़े। उधर, बच्ची की हालत चिंताजनक देख उसकी मां शशि देवी बिलख पड़ीं।

तेंदुए के हमले नहीं तोड़ सके वन विभाग की नींद

जिले में तेंदुए के हमले बढ़ते जा रहे हैं मगर वन विभाग अंजान बना है। कुछ महीने पहले तेंदुए ने एक महिला और एक किशोर को मार डाला था। इसके साथ ही कई मवेशी भी उसका शिकार बन चुके हैं। ठाकुरद्वारा के गांव रमनावला, फैजुल्लागंज, तरफदयाल, करनावाला, शरीफनगर, भायपुर, मधुपुरी, माधोवाला, कल्यानपुर में भी तेंदुए का आतंक है। कांठ में 2014-2015 में चीते ने हमला किया था। 2017 में सहसपुर की ज्यारत में चीते ने किसान पर हमला किया और पेड़ पर चढ़ गया लेकिन घेराबंदी होने पर भाग गया। अकबरपुर केदरी, मल्लीवाल और फजलाबाद के जंगल में तेंदुए को कुछ समय पहले ही देखा गया है। भोजपुर में 2017 में इस्लामनर के पास कोजी का मझरा में तेंदुआ दिखा तो ग्रामीणों ने उसे घेर लिया। भीड़ जुड़ने पर जंगल में भाग गया। दो महीने पहले भी हटहट गांव में जंगली बिल्ली की तरह दिखने वाला एक जानवर ने घर के बाहर सो रहे चाल साल के बच्चे पर हमला कर दिया ,जिसको ग्रामीणों ने पीट पीटकर मारा डाला। पिछले दिनों छजलैट और इसके बाद ठाकुरद्वारा में तेंदुए के हमले से बच्ची की मौत के बाद भी वन विभाग की नींद नहीं टूटी है।

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