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स्वच्छता दूत-23: मुरादाबाद में रेलवे रिटायर्ड सुधाकर ने बदल दी पार्कों की तस्वीर

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया’ कुछ ऐसा ही कर दिखाया उपवन के संस्थापकों ने। मुख्य धारा के विपरीत चलकर भी जीवटता की ऐसी कहानी लिखी हर दौर के लिए मिसाल...

स्वच्छता दूत-23: मुरादाबाद में रेलवे रिटायर्ड सुधाकर ने बदल दी पार्कों की तस्वीर
मुरादाबाद, लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Sep 2018 08:57 AM
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मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया’ कुछ ऐसा ही कर दिखाया उपवन के संस्थापकों ने। मुख्य धारा के विपरीत चलकर भी जीवटता की ऐसी कहानी लिखी हर दौर के लिए मिसाल बन गई। रेलवे से सेवानिवृत सुधाकर रंजन त्यागी अपने कुछ सहयोगियों के साथ शहर के बदहाल पार्कों की तस्वीर बदलने में जुटे हुए हैं।

सुधाकर रंजन त्यागी जून 2017 में रेलवे के मुख्य हित निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए। एक मुश्त 37 साल की रेलवे में सेवा दी। कुछ करते रहने के जज्बे ने उन्हें नौकरी के बाद भी युवा बनाए रखा। सेवानिवृत्ति के दो साल पहले जब उन्होंने उपवन संस्था की स्थापना की तब देश में स्वच्छता को लेकर इतनी जागरूकता भी नहीं थी।

उन्हें लगता था कि स्वच्छता और पर्यावरण की संरक्षा सिर्फ सरकारी मशीनरी पर नहीं छोड़ी जा सकती। इसके लिए हर किसी को अपना योगदान देना होगा। इसी के लिए उन्होंने उपवन संस्था बनाई। शुरुआती दिनों में लोगों ने उनकी इस मुहिम का उपहास भी उड़ाया और हतोत्साहित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन सुधाकर ने हिम्मत नहीं हारी। अवकाश के दिनों में कुछ घंटे शहर के किसी न किसी पार्क की साफ-सफाई में गुजारने लगे। कोशिश होती थी कि सिर्फ सफाई न हो बल्कि वहां पौधे लगा दिए जाएं ताकि लोग दोबारा गंदगी न करें। सेवानिवृत्ति के बाद पूरी तरह से अपनी इसी मुहिम में जुट गए। वक्त के साथ-साथ लोगों का भरोसा उनके काम पर बढ़ा और अब यह स्थिति है कि उनके एक मैसेज पर बड़ी संख्या में उनके वालंटियर उपवन की जैकेट पहनकर श्रमदान के लिए पहुंच जाते हैं। सुधाकर और उनकी टीम ने कंपनी बाग, अंबेडकर पार्क और रामलीला ग्राउंड समेत शहर के 50 से अधिक छोटे-बड़े पार्कों में श्रमदान करके उसकी सूरत बदली है। उनकी टीम में छोटे बच्चों से लेकर 80 साल तक के बुजुर्ग भी हैं। महिलाएं भी श्रमदान में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। अर्थशास्त्र से परास्नातक त्यागी संभल जिले के न्यावली गांव के मूल निवासी हैं। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में पैदा हुए। मुरादाबाद में तालीम ली। रेलवे में नौकरी के दौरान मजदूर के हक लिए आवाज बने और अब स्वच्छता के अलंबरदार हैं।

संस्थापक उपवन सुधाकर रंजन त्यागी कहते हैं कि कुछ अच्छा सोचो तो अच्छा ही होता है। मन में हमेशा से स्वच्छता के लिए संकल्प रहा। सेवानिवृत्ति के बाद काम करने का खूब अवसर है। नौकरी में असल का साथ किया और अब असल काम कर रहा हूं। उपवन की टीम का उत्साह देखकर युवाओं सा उमंग महसूस करता हूं। सभी स्वच्छता के सिपाही बन जाएं यही कामना है।

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