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परिसीमन न होने से बिगड़ा मुरादाबाद-संभल पंचायत का भूगोल

नया जिला गठन होने के बाद भी पंचायत सीमाओं का सीमांकन नहीं हो सका। जिससे पंचायत में तमाम विसंगतियां पनप गई है। पुनर्गठन न होने से मुरादाबाद-संभल जिला पंचायत का भूगोल बिगड़ा हुआ है। हाल यह कि मुरादाबाद...

परिसीमन न होने से बिगड़ा मुरादाबाद-संभल पंचायत का भूगोल
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादThu, 04 Jul 2019 12:32 PM
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नया जिला गठन होने के बाद भी पंचायत सीमाओं का सीमांकन नहीं हो सका। जिससे पंचायत में तमाम विसंगतियां पनप गई है। पुनर्गठन न होने से मुरादाबाद-संभल जिला पंचायत का भूगोल बिगड़ा हुआ है। हाल यह कि मुरादाबाद जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायतों तक डेढ़ हजार से कम प्रतिनिधि चुने गए।आबादी के हिसाब से ही मुरादाबाद पंचायत में छह सदस्यों की संख्या कम है। 41 की बजाय मौजूदा में पंचायत में 34 सदस्य है। ज्यादा समस्या बिलारी और बनियाखेड़ा की है। पांच जिला पंचायतें ऐसी है जिनका वजूद दोनों जिलों में है।

मुरादाबाद में संभल को नया जिला बनाने के बावजूद परिसीमन न होने से कई तरह की विसंगतियां कायम है। पंचायत अधिनियम में जनसंख्या के मानक का पालन न होने से इसका खामियाजा भुगत रहे है। मुरादाबाद जिले का हिस्सा रहे संभल को बसपा सरकार अलग जिले को दर्जा मिला है। पर अलग जिला घोषित होने के बाद भी ग्राम पंचायतों को परिसीमन न होने से सीमाओं में घालमेल है। संभल के अलग जिले की अधिसूचना 11 अप्रैल,2012 को हुई थी। पर जिले का पंचायत के हिसाब से पुनर्गठन न हो पाया। यही नहीं 2015 में पंचायत के चुनाव बिना पुनर्गठन के हुए। जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में भी परिसीमन का मामला उठा था।

परिसीमन न होने ने घटाए प्रतिनिधि-

2011 की आबादी के आधार पर मुरादाबाद और संभल का पुनर्गठन न होने से त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि कम चुने गए।पंचायत का गठन न होने से अकेले मुरादाबाद में ही डेढ़ हजार से ज्यादा कम प्रतिनिधि रहे। मुरादाबाद में ग्राम पंचायत सदस्य 8856 होने चाहिए पर है 7636। इसी तरह 588 ग्राम प्रधान की बजाय यह संख्या 696 होनी चाहिए।क्षेत्र पंचायत 1019 की बजाय 834 और जिला पंचायत वार्ड सदस्य 41 की जगह 34 है।

बिलारी-बनियाखेड़ा में उलझे 66 ग्राम पंचायत

परिसीमन न होने से मुरादाबाद-संभल की बिलारी और बनियाखेड़ा में 66 ग्राम पंचायत की सीमाएं फंसी हुई है। बिलारी की 81 में से 28 ग्राम पंचायत संभल और बनियाखेड़ा में 38 पंचायतें मुरादाबाद की बिलारी क्षेत्र पंचायत का हिस्सा है। दो ग्राम पंचायतें ऐसी है जो दोनों में है। बनियाखेड़ा क्षेत्र पंचायत की ग्राम पंचायत फरीदपुर खास के दो राजस्व फरीदपुर और रामराय पुर(चंदौसी, संभल) और बनियाखेड़ा के तहत आने वाली ग्राम पंचायत उमरा के राजस्व ग्राम गोपालपुर और मुकर्रबपुर कुंआ खेड़ा(बिलारी, मुरादाबाद) और एक राजस्व ग्राम नसीरपुर नरौली और उसका मझरा कुंवरपुर चंदौसी तहसील, संभल का हिस्सा है। एक राजस्व ग्राम बिलारी तहसील का हिस्सा है। सीमांकन न होने से राजस्व के 88 ग्राम फंसे है। इनमें बिलारी के 28, मुरादाबाद के 12, बनियाखेड़ा-38 और असमोली के 10 गांव है।

तीन नगर पंचायतें गठित

पाकबड़ा, अगवानपुर और ढकिया को सरकार ने न्याय पंचायत का दर्जा दिया है। लिहाजा पंचायतों को पुर्नगठन होना चाहिए। इन तीनों नगर पंचायतों में जिला पंचायत के पांच-छह बीडीसी क्षेत्र जुड़े है। लिहाजा जिला पंचायत के वार्ड का एरिया कम हो गया।

कोर्ट में दस्तक

नया जिला बनने के बाद भी परिसीमन के चुनाव कराए जाने पर पंचायत सदस्य मोहम्मद उस्मान ने आपत्ति जाहिर की। 2015 में चुनाव से पहले उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। मुरादाबाद पंचायत के वार्ड-35 के सदस्य उस्मान का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने उनकी दलील मान ली। पर चुनाव की अधिसूचना जारी होने से इसे रोकने से इंकार कर दिया। पूर्व सदस्य चन्द्र पाल सिंह का भी कहना है कि पिछला चुनाव अक्तूबर, 2015 में हुआ था। नए साल में चुनाव तय है पर इससे पहले परिसीमन जरूरी है।

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