बेहद जहरीले शहरों की लिस्ट से बाहर निकला मुरादाबाद
लंबे समय तक देश के सबसे अधिक वायु प्रदूषित शहरों में शुमार रहे मुरादाबाद की स्थिति अब काफी बेहतर दर्ज की गई है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यहां की...
मुरादाबाद। वरिष्ठ संवाददाता
लंबे समय तक देश के सबसे अधिक वायु प्रदूषित शहरों में शुमार रहे मुरादाबाद की स्थिति अब काफी बेहतर दर्ज की गई है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यहां की हवा की गुणवत्ता दिल्ली समेत एनसीआर के साथ ही यूपी के कई शहरों की तुलना में बेहतर पाई गई है। रविवार को जहां दिल्ली समेत कुछ शहर वायु प्रदूषण के सबसे ज्यादा खतरनाक मरून जोन में दर्ज किए गए वही मुरादाबाद यलो जोन में पाया गया जोकि सेहत के नजरिए से काफी बेहतर माना गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक रविवार को मुरादाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 184 रिकॉर्ड किया गया पिछले पांच सालों के दौरान मुरादाबाद में सर्दियों के मौसम का यह सबसे कम वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया गया है। पिछले वर्ष सर्दी के मौसम में मुरादाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 470 तक रिकॉर्ड किया गया था। पिछले साल सर्दियों में तीन दिन मुरादाबाद वायु गुणवत्ता सूचकांक के आधार पर देश का सबसे अधिक वायु प्रदूषित शहर दर्ज किया गया था। इस बार दिवाली पर पटाखे जलने के बाद होने वाले प्रदूषण में भी मुरादाबाद की स्थिति एनसीआर के शहरों की तुलना में बेहतर दर्ज की गई थी। पिछले एक हफ्ते से मुरादाबाद वायु प्रदूषण के ऑरेंज जोन में दर्ज किया जा रहा था जबकि दिल्ली समेत एनसीआर के कई शहर रेड जोन और मैरून जोनल में दर्ज किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से वायु प्रदूषण का ग्रीन जोन सबसे अच्छा, यलो जोन ठीक ठाक ऑरेंज जोन खराब , रेड जोन बहुत खराब और मैरून जोन खतरनाक माना जाता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे होने पर ग्रीन जोन, 100 से 200 के बीच में होने पर येलो जोन, 200 से 300 के बीच ऑरेंज जोन, 300 से 400 के बीच रेड जोन और वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से अधिक होने पर मैरून जोन की स्थिति मानी जाती है।
विभिन्न शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक
मुरादाबाद 184
दिल्ली 402
फरीदाबाद 405
बुलंदशहर 381
बागपत 369
मेरठ 360
नोएडा 359
गाजियाबाद 348
जींद 380
प्रदूषण में कमी से दस्तकारों को राहत की उम्मीद
मुरादाबाद। शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति में आया सुधार यहां काम कर रहे हजारों दस्तकारों को राहत मिलने का सबब बन सकता है। यहां बड़ी संख्या में दस्तकार ढलाई भट्टी आदि में कार्य कर रहे हैं ।भट्टी में ईंधन के तौर पर कोयला इस्तेमाल किए जाने की वजह से उन पर ताला लगने की तलवार लंबे अरसे से लटक रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार आने से उन पर इसका खतरा कम हो सकता है उधर विशेषज्ञ शहर के वायु प्रदूषण में कमी आने का बड़ा कारण ई कचरे को जलाना प्रतिबंधित किया जाना मान रहे हैं। शहर में अब ई कचरा नहीं के बराबर जलाए जाने की स्थिति सामने आई है।