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मुरादाबाद में साल भर से बिजली बिल का बोझ उठाए घूम रहे पेंशनर्स, जानिये क्यों

बिजली पेंशनर्स एक साल से बिल का बोझ लिए इधर से उधर भटक रहे हैं । पहले मैनुअल व्यवस्था में बिल जमा होते थे लेकिन एक साल पहले मैनुअल व्यवस्था बंद कर दी गई । वो दिन है और आज का दिन इस फरमान की वजह से...

मुरादाबाद में साल भर से बिजली बिल का बोझ उठाए घूम रहे पेंशनर्स, जानिये क्यों
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादFri, 07 Feb 2020 12:11 PM
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बिजली पेंशनर्स एक साल से बिल का बोझ लिए इधर से उधर भटक रहे हैं । पहले मैनुअल व्यवस्था में बिल जमा होते थे लेकिन एक साल पहले मैनुअल व्यवस्था बंद कर दी गई । वो दिन है और आज का दिन इस फरमान की वजह से करीब 2 हजार पेंशनर्स एक साल से बिजली बिल जमा करने को भटक रहे हैं लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही । मुख्यालय की ओर से अब तक आनलाइन बिलिंग को एप तैयार न होने से जहां पेंशनर्स परेशान हो रहे हैं वहीं विभाग को हर महीने दस लाख का राजस्व घाटा उठाना पड़ रहा है। पेंशनर्स की दिक्कतों को देखते हुए अफसरों ने आला अफसरों को व्यवहारिक दिक्कत से अवगत कराते हुए तत्काल आनलाइन बिलिंग की व्यवस्था करवाने को कहा है,जिससे पेंशनर्स के बिजली बिल हर माह जमा हो जाए ।

इकतीस मार्च 2019 तक बिजली विभाग के रिटायर कर्मचारियों के घरों के बिजली बिल मैनुअल जमा होते थे लेकिन पीवीएनएल के चेयरमैन ने आदेश जारी कर मैनुअल बिलिंग बंद करा दी, विभाग ने जल्द आनलाइन बिलिंग को एप तैयार कराने के निर्देश भी जारी कर दिए लेकिन एक साल पूरा होने के बाद भी अभी तक पेंशनर्स के बिजली बिलों का जमा कराने को कोई आनलाइन व्यवस्था नहीं बन पाई है । नतीजा यह है कि मुरादाबाद के करीब 2 हजार पेंशनर्स के औसतन पांच सौ रूपए के हिसाब आने वाले बिल जमा न होने से जहां हर माह विभाग को दस लाख रूपए राजस्व घाटा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर पेंशनर्स पर साल भर में करीब सवा करोड़ रूपए का भार पड़ गया है ।

दो हजार पेंशनर्स के बिजली बिल एक साल से जमा न होने से दिक्कत आ गई है। पहले मैनुअल बिलिंग होती थी लेकिन मार्च 2019 से इसको बंद करने के बाद कोई एप नहीं तैयार कराया गया, जिससे पेंशनर्स का आनलाइन बिल जमा कराया जा सके । इस दिक्कत को लेकर आलाअफसरों को पत्र भी लिखे गए है लेकिन अभी कुछ नहीं हो पाया । आनलाइन के लिए कोई व्यवस्था न होने से जहां पेंशनर्स पर बिल का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है वहीं विभाग के राजस्व में आने वाले सवा करोड़ भी इसके चलते अटके पड़े हैं ।

प्रमोद कुमार गोगनिया , एक्सईएन (मीटर)

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