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लोकोशेड पुल की लेटलतीफी, सवालों में पूरा सिस्टम

लोकोशेड पुल निर्माण पर हर बार नई तारीख। अब तक चार बार पुल निर्माण की समय सीमा बदल चुकी है। कहीं निर्माण एजेंसी ने काम में सुस्ती दिखाई है तो कहीं निर्माण विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा है। अब पुल...

लोकोशेड पुल की लेटलतीफी, सवालों में पूरा सिस्टम
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादFri, 14 Jun 2019 12:23 PM
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लोकोशेड पुल निर्माण पर हर बार नई तारीख। अब तक चार बार पुल निर्माण की समय सीमा बदल चुकी है। कहीं निर्माण एजेंसी ने काम में सुस्ती दिखाई है तो कहीं निर्माण विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा है। अब पुल निर्माण में रेल मंत्री की नाराजगी के बाद जिम्मेदारों की धड़कन बढ़ी है। लेकिन सच यह भी है कि इस परियोजना की लेटलतीफी के लिए पूरा सिस्टम जिम्मेदार है। शहर के समग्र विकास और दिल्ली रोड के यात्रियों के लिए जाम ने निजात दिलाने वाला यह प्रोजेक्ट कइयों को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है।

महज दो साल में इस पुल का निर्माण पूरा हो जाना था। आरंभ में 32 करोड़ रुपए की लागत से इस पुल का निर्माण होना था। इसके लिए सेतु निगम और रेलवे के हिस्से का काम रेलवे के निर्माण विभाग के हवाले किया गया। लाख प्रयास के बाद इस परियोजना को अभी मुकाम नहीं मिल पाया है।

सेतु निगम ने अपने हिस्से का अधिकतर काम पूरा कर लिया है। रेलवे का करीब 40 प्रतिशत काम बाकी है। रेल प्रबंधन ने पहले मार्च 2018 में काम पूरा करने को कहा। इसके बाद अगस्त तक का समय दिया गया। इकतीस मार्च तक पुल बनना था। इसके बाद जून 2019 की मियाद रखी गई।

हर बार ठेकेदार को समय का एक्सटेंशन मिलता रहा। लेकिन उसके बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है। ठेकेदार रेलवे को काम में विलंब के लिए जिम्मेदार मान रहा है और रेलवे ठेकेदार को विलंब के लिए कुसूरवार ठहरा रहा है।

लोकोपुल: एक नजर

स्वीकृति वर्ष 2015-16

आरंभिक लागत: पंद्रह करोड़

ठेकेदार को भुगतान: छह करोड़

रेलवे को बनाना है कुल पांच फाउंडेशन

दोनों मुख्य फाउंडेशन का निर्माण बाकी

2017 के जून में शुरू हुआ निर्माण

एक सौ बारह मीटर पुल की लंबाई है

डिजाइन मंजूरी में एक साल का विलंब

अभी तक साठ फीसदी काम पूरा हुआ है

स्पैन लाने में ठेकेदार ने कर दी देरी

मुरादाबाद। डीआरएम के साथ शहर विधायक की बैठक में मुख्य लाइन पर स्पैन की आपूर्ति में विलंब को कारण गिनाया गया। प्रोजेक्ट के मैनेजर ने दो टूक कहा कि ठेकेदार को समय से स्पैन नही मिलने से भी काम प्रभावित हुआ है। इस काम के लिए रेलवे को 1.2 करोड़ खर्च करना है। इस मद में 70 लाख रुपए का भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया है। लेकिन अब तक लोहे का गर्डर तैयार नहीं हो पाया है।

समय से काम पूरा नहीं होने के लिए सीधे निर्माण विभाग और रेलवे मुख्यालय जिम्मेदार है। पुल की डिजाइन फाइनल करने में देर से काम प्रभावित हुआ है। एक साल तक पुल के नक्शे पर मंथन होता रहा। अभी भी मुख्य फाउंडेशन का डिजाइन नहीं तय हुआ है। साइट पर काम करने के लिए मौका तक तो मिल नहीं रहा है। नोटिस का जवाब दिया जाएगा।

मनुदेव, एमडी कंस्ट्रक्शन कंपनी

लोकोशेड, सोनकपुर और गोविंदनगर का प्रोजेक्ट शहर के लिए खास है। अब तक किसी कारण से काम रुका रहा, इसकी समीक्षा से अधिक जरूरी है काम पूरा करना। मैंने तीनों पुलों के निर्माण को लेकर जिम्मेदारों को आगाह कर दिया है। प्राथमिकता पर लोकोशेड का पुल का निर्माण है। क्योंकि लोकोशेड पुल निर्माण को लेकर मुख्यालय गंभीर है।

तरुण प्रकाश, डीआरएम

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