मकान किराया 18 हजार चुकाकर 50 हजार दर्शाया, अब आयकर का नोटिस
Moradabad News - मुरादाबाद के एक आईटी पेशेवर ने बेंगलुरु में किराया चुकाने में फर्जीवाड़ा किया है। उसने 18,000 रुपये का किराया दिखाते हुए अपनी कंपनी में इसे 50,000 रुपये दर्शाया, जिससे आयकर विभाग को कम टैक्स मिला। अब...

मुरादाबाद। बेंगुलरु में आईटी पेशेवर के तौर पर कार्यरत मुरादाबाद के शख्स की तरफ से वहां मकान का किराया चुकाने में कथित फर्जीवाड़ा अंजाम देकर आयकर कटौती का लाभ लिए जाने का मामला सामने आया है। जिसके बाद आयकर विभाग ने उस पर दस लाख रुपये की रिकवरी का नोटिस जारी किया है। इस आईटी पेशेवर का पैन मुरादाबाद का होने के चलते आयकर विभाग का नोटिस यहां मिलने से मामला सामने आया। उसने बेंगलुरु में अपने मकान का किराया 18 हजार रुपये महीना चुकाते हुए अपनी कंपनी में इसे 50 हजार रुपये महीना दर्शाया। जिसके चलते कंपनी ने उसकी टीडीएस (आयकर) कटौती कम की जिसके चलते विभाग को उसकी तनख्वाह के अनुरूप उससे काफी कम आयकर प्राप्त हुआ।
मुरादाबाद में टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद मेहरोत्रा ने यह मामला सामने आने की पुष्टि की। बताया कि नियमानुसार, किराए की धनराशि निर्धारित सीमा से अधिक होने पर मकान मालिक के पैन के साथ उसके खाते में से आयकर कटौती किया जाना जरूरी है। आईटी पेशेवर द्वारा किराया कम चुकाकर अधिक दर्शाए जाने के कारण बकाया टैक्स को मय ब्याज व पेनाल्टी के साथ चुकाने के लिए उसे आयकर विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया गया है। डिस्ट्रिक्ट इनकम टैक्स बार एसोसिएशन के गौरव गुप्ता ने बताया कि आईटी एवं कार्पोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों से मकान किराया चुकाने समेत इनवेस्टमेंट प्रूफ मांग रही हैं। कई कर्मचारियों द्वारा कम किराया चुकाकर अधिक दर्शाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन, इसका प्रूफ नहीं देने के चलते इस तरह की अनियमितता पकड़ में आ रही हैं। बेंगलुरु में मुरादाबाद निवासी आईटी पेशेवर की तरफ से अंजाम दिया गया कथित फर्जीवाड़ा इसी तरह से सामने आया। टैक्स पेशेवरों का कहना है कि सरकारी विभागों और मल्टीनेशनल कंपनियों में कार्यरत कई कर्मचारी इस तरह की गड़बड़ी करके अपनी टीडीएस (आयकर कटौती) कम कराने की कोशिशों में लिप्त हो रहे हैं। मुरादाबाद में आयकर छापे से उजागर हुआ था घोटाला मुरादाबाद। आईटीआर में फर्जी सूचनाएं देकर आयकर बचाने व रिफंड हड़प लेने का घोटाला मुरादाबाद में आयकर विभाग की छापेमारी में सामने आया था। आयकर विभाग ने जानकारी के आधार पर ड्रॉप आउट सीए के यहां छापा मारा था। जिसमें लोगों के फर्जी तरीके से आईटीआर फाइल करके उनका टैक्स बचाने और पूर्व में चुकाया गया आयकर रिफंड के तौर पर झटक लेने से जुड़े दस्तावेज मिले थे। पता चला था कि इस ड्रॉपआउट सीए ने फर्जी सूचनाओं के आधार पर ऑनलाइन आईटीआर फाइलिंग का अपना नेटवर्क देश के कई शहरों तक पहुंचाया हुआ था।
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